Hindi, asked by shaharear6268, 8 months ago

बिरह वियोग को साप क्यो कहा है

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Answered by smly1625
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Answer:

बिलपत राउ बिकल बहु भाँती। भइ जुग सरिस सिराति न राती॥

तापस अंध साप सुधि आई। कौसल्यहि सब कथा सुनाई॥2॥

भावार्थ:-राजा व्याकुल होकर बहुत प्रकार से विलाप कर रहे हैं। वह रात युग के समान बड़ी हो गई, बीतती ही नहीं। राजा को अंधे तपस्वी (श्रवणकुमार के पिता) के शाप की याद आ गई। उन्होंने सब कथा कौसल्या को कह सुनाई॥2॥

* भयउ बिकल बरनत इतिहासा। राम रहित धिग जीवन आसा॥

सो तनु राखि करब मैं काहा। जेहिं न प्रेम पनु मोर निबाहा॥3॥

भावार्थ:-उस इतिहास का वर्णन करते-करते राजा व्याकुल हो गए और कहने लगे कि श्री राम के बिना जीने की आशा को धिक्कार है। मैं उस शरीर को रखकर क्या करूँगा, जिसने मेरा प्रेम का प्रण नहीं निबाहा?

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