ब्रजभाषा गद्य की प्रमुख रचनाओं तथा उनके लेखकों के नाम लिखिए।
Answers
Explanation:
ब्रजभाषा गद्य के दो प्रमुख लेखक तथा उनकी एक-एक रचना का नाम लिखिए। गोस्वामी बिट्ठलनाथ, रचना–'श्रृंगार रस-मण्डन'। गोकुलनाथ, रचना–'चौरासी वैष्णवन की वार्ता' और 'दो सौ बावन वैष्णवन की। वार्ता।
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उत्तर
पद्मसिंह शर्मा,
श्यामसुन्दर दास तथा
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल।
Answer:
ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी ।
Explanation:
ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी । शुद्ध रूप यह आज भी मथुरा, आगरा, धौलपुर और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं। प्रारम्भ में ब्रजभाषा में ही काव्य रचना हुई। भक्तिकाल के कवियों ने अपनी रचनाएँ ब्रजभाषा में ही लिखी हैं, जिनमें सूरदास, रहीम, रसखान, बिहारी लाल, केशव, घनानन्द आदि कवि प्रमुख हैं। हिन्दी फ़िल्मों और फ़िल्मी गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का बहुत प्रयोग होता है। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।
• केन्द्र - मथुरा
• बोलने वालों की संख्या - 3 करोड़
• देश के बाहर ताज्जुबेकिस्तान में ब्रजभाषा बोली जाती है, जिसे 'ताज्जुबेकी ब्रजभाषा' कहा जाता है।
• साहित्य - कृष्ण भक्ति काव्य की एकमात्र भाषा, लगभग सारा रीतिकाल साहित्य | साहित्यिक दृष्टि से हिंदी भाषा की सबसे महत्त्वपूर्ण बोली । साहित्यिक महत्त्व के कारण ही इसे ब्रजबोली नहीं ब्रजभाषा की संज्ञा दी जाती है। मध्यकाल में इस भाषा ने अखिल भारतीय विस्तार पाया। बंगाल में इस भाषा से बनी भाषा का नाम 'ब्रज बुलि' पड़ा। आधुनिक काल तक इस भाषा में साहित्य सृजन होता रहा। पर परिस्थितियाँ ऐसी बनी कि ब्रजभाषा साहित्यिक सिंहासन से उतार दी गई और उसका स्थान खड़ी बोली ने ले लिया।
• रचनाकार- भक्तिकालीन- सूरदास, नन्ददास आदि। रीतिकाल - बिहारी, मतिराम, भूषण, देव आदि। आधुनिक कालीन - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जगन्नाथ दास 'रत्नाकर' आदि।
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