ब्रजकि शोर बाब ूनेक्या कहा?
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बेटी अपने पिता से वर्षा ऋतु में विवाह नहीं करने का आग्रह करती है; क्योंकि उस समय बराती ही नहीं, वरन् दुलहा भी वर्षा में भींज जाते हें। फिर, वह कुएँ खुदवाने और आम का पेड़ लगवाने की प्रार्थना करती है; जिससे बराती पानी पी सकें और छाया में रह सकें। ऐसा करने से पिता की प्रतिष्ठा बढ़ेगी। बेटी जब लटें साफ करके शृंगार करने लगती है, तब वह अपने लिए गोकुल के कृष्ण कन्हैया के समान पति पाने की इच्छा अपने पिता से प्रकट करती है।
- बेरी बेरी[1] बरजौं मोर बाबा, जेठ[2] जानु करिहो बियाह हे।
- आजिम भींजत बाबा जाजिम भींजत, भींजत घोड़ा के लगाम हे॥1॥
- जीरबा[3] ऐसन बेठी लोक बेद[4] देखल, पंडित ऐसन जमाय हे।
- आजिम[5] देबौ बेटी जाजिम देबौ, देबौ घोड़ा के लगाम हे॥2॥
- कुइयाँ खुनइहऽ[6] बाबा आम गाछ लगइहऽ, आयत लोक बरियात हे।
- पनियाँ पिएत बाबा छाहरी[7] भै बेठत, बाढ़त नाम तोहार हे॥3॥
- सिसोही[8] सिसोही बेटी लट झाड़ल, भै गेल बाबा भिर ठाढ़ हे।
- एक बचन मोरा सुनहो हो बाबा, खोजिहऽ सुनर जमाय हे।
- जैसन गोखुला[9] के किसुन कन्हाई, ओइसन खोजिहऽ जमाय हे॥4॥
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