बिरसा आंदोलन पर निबंध लिखें ।
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Explanation:
बिरसा आन्दोलन का आर्थिक उद्देश्य था दिकू जमींदारों (गैर-आदिवासी जमींदार) द्वारा हथियाए गए आदिवासियों की कर मुक्त भूमि की वापसी जिसके लिए आदिवासी लम्बे समय से संघर्ष कर रहे थे. ... बिरसा मुंडा ने एक नए धर्म का सहारा लेकर मुंडाओं को संगठित किया. उनके नेतृत्व में मुंडाओं ने 1899-1900 ई. में विद्रोह किया.
इनका जन्म मुंडा जनजाति के गरीब परिवार में पिता-सुगना पुर्ती(मुंडा) और माता-करमी पुर्ती(मुंडाईन) के सुपुत्र बिरसा पुर्ती (मुंडा) का जन्म 15 नवम्बर १८७५ को झारखण्ड के राँची के खूंटी जिले के उलीहातू गाँव में हुआ था। साल्गा गाँव में प्रारम्भिक पढाई के बाद वे चाईबासा जी0ई0एल0चार्च(गोस्नर एवंजिलकल लुथार) विधालय में पढ़ाई किया था। इनका मन हमेशा अपने समाज की यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटिश शासकों द्वारा की गयी बुरी दशा पर सोचते रहते थे। उन्होंने मुण्डा|मुंडा लोगों को अंग्रेजों से मुक्ति पाने के लिये अपना नेतृत्व प्रदान किया। १८९४ में मानसून के छोटा नागपुर पठार|छोटानागपुर में असफल होने के कारण भयंकर अकाल और महामारी फैली हुई थी। बिरसा ने पूरे मनोयोग से अपने लोगों की सेवा की। आर्थत आंधविशवस जैसे भूत प्रेत डाईन प्रथा से दुर करने के लिय लोंगों को प्रेरित किया करते थे ।
1 अक्टूबर 1894 को नौजवान नेता के रूप में सभी मुंडाओं को एकत्र कर इन्होंने अंग्रेजो से लगान (कर) माफी के लिये आन्दोलन किया। 1895 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। लेकिन बिरसा और उसके शिष्यों ने क्षेत्र की अकाल पीड़ित जनता की सहायता करने की ठान रखी थी और जिससे उन्होंने अपने जीवन काल में ही एक महापुरुष का दर्जा पाया। उन्हें उस इलाके के लोग "धरती बाबा" के नाम से पुकारा और पूजा करते थे। उनके प्रभाव की वृद्धि के बाद पूरे इलाके के मुंडाओं में संगठित होने की चेतना जागी।[3]
उत्तर:
बिरसा आंदोलन का नेतृत्व आधुनिक बिहार और झारखंड के क्षेत्रों में बिरसा मुंडा ने किया था। मुंडा निराश आदिवासी लोग थे जिन्होंने 1789, 1807, 1812, 1819 और 1832 में बिहार और आधुनिक झारखंड में कई बार विद्रोह किया। ये विद्रोह प्रशासन के अनुचित हस्तक्षेप और जमींदारों के रवैये के कारण थे।
व्याख्या:
बिरसा मुंडा (1875-1900) का नाम भारत में महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक के रूप में संजोया जाता है। उन्होंने छोटानागपुर क्षेत्र के आसपास आदिवासी कृषि व्यवस्था को सामंती राज्य में बदलने के खिलाफ आवाज उठाई। 1900 में, 25 साल की उम्र में, उन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और जेल में डाल दिया। संभवत: जेल में यातना के कारण उनकी मृत्यु हुई।
आज, बिरसा मुंडा बिहार और झारखंड में एक सम्मानित व्यक्ति हैं। उनके नाम पर रांची के एयरपोर्ट और बिरसा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची को सजाया गया है। बिरसा मुंडा के अनुयायी बिरसैत कहलाते हैं।
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