ब्रदर कारम जोव उपन्यास से जीवन भर प्रभावित कौन थी।
रेणु
अचला
महादेवी वर्मा
मृदुला गर्ग
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मृदुला गर्ग (जन्म:२५ अक्टूबर, १९३८) कोलकाता में जन्मी, हिंदी की सबसे लोकप्रिय लेखिकाओं में से एक हैं। उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक तथा निबंध संग्रह सब मिलाकर उन्होंने २० से अधिक पुस्तकों की रचना की है। १९६० में अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि लेने के बाद उन्होंने ३ साल तक दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्यापन भी किया है।
उनके उपन्यासों को अपने कथानक की विविधता और नयेपन के कारण समालोचकों की बड़ी स्वीकृति और सराहना मिली। उनके उपन्यास और कहानियों का अनेक हिंदी भाषाओं तथा जर्मन, चेक, जापानी और अँग्रेजी में अनुवाद हुआ है। वे स्तंभकार रही हैं, पर्यावरण के प्रति सजगता प्रकट करती रही हैं तथा महिलाओं तथा बच्चों के हित में समाज सेवा के काम करती रही हैं। उनका उपन्यास 'चितकोबरा' नारी-पुरुष के संबंधों में शरीर को मन के समांतर खड़ा करने और इस पर एक नारीवाद या पुरुष-प्रधानता विरोधी दृष्टिकोण रखने के लिए काफी चर्चित और विवादास्पद रहा था। उन्होंने इंडिया टुडे के हिन्दी संस्करण में २००३ से २०१० तक 'कटाक्ष' नामक स्तंभ लिखा है जो अपने तीखे व्यंग्य के कारण खूब चर्चा में रहा।
उनके आठ उपन्यास- उसके हिस्से की धूप, वंशज, चित्तकोबरा, अनित्य, 'मैं और मैं', कठगुलाब, 'मिलजुल मन' और 'वसु का कुटुम'। ग्यारह कहानी संग्रह- 'कितनी कैदें', 'टुकड़ा टुकड़ा आदमी', 'डैफ़ोडिल जल रहे हैं', 'ग्लेशियर से', 'उर्फ सैम', 'शहर के नाम', 'चर्चित कहानियाँ', समागम, 'मेरे देश की मिट्टी अहा', 'संगति विसंगति', 'जूते का जोड़ गोभी का तोड़', चार नाटक- 'एक और अजनबी', 'जादू का कालीन', 'तीन कैदें' और 'सामदाम दंड भेद', तीन निबंध संग्रह- 'रंग ढंग' ,'चुकते नहीं सवाल' तथा 'कृति और कृतिकार', एक यात्रा संस्मरण- 'कुछ अटके कुछ भटके' तथा दो व्यंग्य संग्रह- 'कर लेंगे सब हज़म' तथा 'खेद नहीं है' प्रकाशित हुए हैं।
अनित्य (उपन्यास -१९८०)
उर्फ सैम (कथासंग्रह -१९८६)
उसके हिस्से की धूप (उपन्यास -१९७५)
एक और अजनबी (नाटक -१९७८)
एक यात्रा संस्मरण- कुछ अटके कुछ भटके (ललित लेखसंग्रह)
कठगुलाब (उपन्यास -१९९६)
कर लेंगे सब हज़म (व्यंग्य -२००७)
कितनी कैदें (कथासंग्रह -१९७५)
खेद नहीं है (व्यंग्य -२००९)
ग्लेशियर से (कथासंग्रह -१९८०)
चर्चित कहानियाँ (कथासंग्रह -१९९३)
चित्तकोबरा (उपन्यास -१९७९)
चुकते नहीं सवाल (ललित लेखसंग्रह -१९९९)
छत पर दस्तक (कथासंग्रह -२००६)
जादू का कालीन (नाटक -१९९३)
जूते का जोड़ गोभी का तोड़ (कथासंग्रह -२००६)
टुकड़ा टुकड़ा आदमी (कथासंग्रह -१९७६)
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