बोरयौ शब्द का अर्थ class 10th chapter surdas ke ped
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प्रीति-नदी मैं पाउँ न बोरयौ, दृष्टि न रूप परागी। 'सूरदास' अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी। भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्तियों में गोपियाँ उद्धव (श्री कृष्ण के सखा) से वयंग्य करते हुए कह रहीं है की तुम बड़े भाग्यवान हो जो तुम अभी तक कृष्ण के प्रेम के चक्कर में नहीं पड़े।
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