Hindi, asked by neelimaDhruw24242424, 8 days ago

b. "सारे जहाँ से अच्छा " कवि इकबाल द्वारा
रचित गीत लिखकर (सुलेख) दिखाए?​

Answers

Answered by sexlover868
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सारे जहाँ से अच्छा या तराना-ए-हिन्दी उर्दू भाषा में लिखी गई देशप्रेम की एक ग़ज़ल है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश राज के विरोध का प्रतीक बनी और जिसे आज भी देश-भक्ति के गीत के रूप में भारत में गाया जाता है। इसे अनौपचारिक रूप से भारत के राष्ट्रीय गीत का दर्जा प्राप्त है। इस गीत को प्रसिद्ध शायर मुहम्मद इक़बाल ने १९०५ में लिखा था और सबसे पहले सरकारी कालेज, लाहौर में पढ़कर सुनाया था। यह इक़बाल की रचना बंग-ए-दारा में शामिल है। उस समय इक़बाल लाहौर के सरकारी कालेज में व्याख्याता थे। उन्हें लाला हरदयाल ने एक सम्मेलन की अध्यक्षता करने का निमंत्रण दिया। इक़बाल ने भाषण देने के बजाय यह ग़ज़ल पूरी उमंग से गाकर सुनाई। यह ग़ज़ल हिन्दुस्तान की तारीफ़ में लिखी गई है और अलग-अलग सम्प्रदायों के लोगों के बीच भाई-चारे की भावना बढ़ाने को प्रोत्साहित करती है। १९५० के दशक में सितार-वादक पण्डित रवि शंकर ने इसे सुर-बद्ध किया। जब इंदिरा गांधी ने भारत के प्रथम अंतरिक्षयात्री राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो शर्मा ने इस गीत की पहली पंक्ति कही।

Answered by neelam220209
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Answer:

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा।

हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा।।

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में।

समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा।। सारे...

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का।

वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा।। सारे...

गोदी में खेलती हैं, उसकी हज़ारों नदियाँ।

गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा।। सारे....

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको।

उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा।। सारे...

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।

हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्ताँ हमारा।। सारे...

यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा, सब मिट गए जहाँ से।

अब तक मगर है बाक़ी, नाम-ओ-निशाँ हमारा।। सारे...

कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी।

सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। सारे...

'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में।

मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा।। सारे...

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