Social Sciences, asked by kanshar8993, 10 months ago

बास्तील के पतन के क्या कारण थे? इसका क्या परिणाम हुआ? (UP BOARD )

Answers

Answered by shishir303
16

बास्तील का दुर्ग उस समय फ्रांस में राजाओं की निरंकुशता और उनके वर्चस्व का प्रतीक माना जाता था। लेकिन जून 1789 में फ्रांस में राष्ट्रीय महासभा को मान्यता मिलने के बाद होने वाले अधिवेशन पर पूरी फ्रांस की निगाहें टिकी थीं। इसी बीच में अफवाह फैल गई कि फ्रांस का राजा विदेशी सहायता से क्रांतिकारियों को कुचलने वाला है। ठीक उसी समय 11 जुलाई को सम्राट ने वित्त मंत्री को बर्खास्त भी कर दिया था। इस घटना से फैल रही अफवाहों और बल मिला और जनता आशंकित हो गई। अब पेरिस की जनता भड़क उठी थी और वह आंदोलन करने पर उतर आई। उसने तोड़फोड़ आरंभ कर दी।

12 जुलाई 1789 को पेरिस में हो रहे दंगों की खबर पाकर बहुत से लुटेरे भी नगर में आ गए और उन्होंने लूटमार व तोड़फोड़ करनी आरंभ कर दी। फिर 14 जुलाई को क्रांतिकारियों की एक भीड़ ने बास्तील के दुर्ग पर हमला कर दिया और दुर्ग रक्षकों की हत्या करने के बाद वहां दुर्ग में बंद सारे कैदियों को रिहा कर दिया और दुर्ग में खूब लूटपाट मचाई तथा दुर्ग को तहस-नहस कर दिया।

यह घटना उस समय फ्रांस में चल रहे निरंकुश शासन के पतन की प्रथम घटना थी और इस घटना का फ्रांस के इतिहास में बहुत महत्व है। इसी कारण 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। बास्तील के दुर्ग का पतन उस समय के निरंकुश शासन का पतन था और इस घटना ने फ्रांस की क्रांति के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया।

Answered by ayushbag03
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बास्तील का दुर्ग उस समय फ्रांस में राजाओं की निरंकुशता और उनके वर्चस्व का प्रतीक माना जाता था। लेकिन जून 1789 में फ्रांस में राष्ट्रीय महासभा को मान्यता मिलने के बाद होने वाले अधिवेशन पर पूरी फ्रांस की निगाहें टिकी थीं। इसी बीच में अफवाह फैल गई कि फ्रांस का राजा विदेशी सहायता से क्रांतिकारियों को कुचलने वाला है। ठीक उसी समय 11 जुलाई को सम्राट ने वित्त मंत्री को बर्खास्त भी कर दिया था। इस घटना से फैल रही अफवाहों और बल मिला और जनता आशंकित हो गई। अब पेरिस की जनता भड़क उठी थी और वह आंदोलन करने पर उतर आई। उसने तोड़फोड़ आरंभ कर दी।

12 जुलाई 1789 को पेरिस में हो रहे दंगों की खबर पाकर बहुत से लुटेरे भी नगर में आ गए और उन्होंने लूटमार व तोड़फोड़ करनी आरंभ कर दी। फिर 14 जुलाई को क्रांतिकारियों की एक भीड़ ने बास्तील के दुर्ग पर हमला कर दिया और दुर्ग रक्षकों की हत्या करने के बाद वहां दुर्ग में बंद सारे कैदियों को रिहा कर दिया और दुर्ग में खूब लूटपाट मचाई तथा दुर्ग को तहस-नहस कर दिया।

यह घटना उस समय फ्रांस में चल रहे निरंकुश शासन के पतन की प्रथम घटना थी और इस घटना का फ्रांस के इतिहास में बहुत महत्व है। इसी कारण 14 जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। बास्तील के दुर्ग का पतन उस समय के निरंकुश शासन का पतन था और इस घटना ने फ्रांस की क्रांति के स्वरूप को पूरी तरह बदल दिया।

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