बंशीधर का अलोपीदीन से दुखाई का क्या कारण था namak ka daroga
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NCERT solutions for class 11 Hindi Core Chapter 11 Premchand
1. कहानी का कौन-सा पात्र आपको सर्वाधिक प्रभावित करता है और क्यों?
उत्तर:- कहानी का नायक मुंशी वंशीधर हमें सर्वाधिक प्रभावित करता है। मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है, जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल कायम करता है। उसने अलोपीदीन दातागंज जैसे सबसे अमीर और विख्यात व्यक्ति को गिरफ्तार करने का साहस दिखाया। आखिरकर पंडित आलोपीदीन भी उसकी दृढ़ता से मुग्ध हो जाते हैं।
2. ‘नमक का दारोगा‘ कहानी में पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के कौन से दो पहलू (पक्ष) उभरकर आते हैं?
उत्तर:- पंडित अलोपीदीन के व्यक्तित्व के निम्नलिखित दो पहलू उभरकर आते हैं –
एक – पैसे कमाने के लिए नियमविरुद्ध कार्य करनेवाला भ्रष्ट व्यक्ति। लोगों पर जुल्म करता था परंतु समाज में वह सफ़ेदपोश व्यक्ति था। यह उसके दोगले चरित्र को उजागर करता है।
दो – कहानी के अंत में उसका उज्ज्वल चरित्र सामने आता है। ईमानदारी एवं धर्मनिष्ठा के गुणों की कद्र करनेवाला व्यक्ति।
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3. कहानी के लगभग सभी पात्र समाज की किसी-न-किसी सच्चाई को उजागर करते हैं।
निम्नलिखित पात्रों के संदर्भ में पाठ से उस अंश को उद्दृत करते हुए बताइए कि यह समाज की किस सच्चाई को उजागर करते हैं –
1. वृद्ध मुंशी 2. वकील 3. शहर की भीड़
उत्तर:- 1. वृद्ध मुंशी – वृद्ध मुंशी समाज में धन को महत्ता देनेवाले भ्रष्ट व्यक्ति है। वे अपने बेटे को ऊपरी आय बनाने की सलाह देते हैं। वे कहते हैं – ‘मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है।’
2. वकील – आजकल जैसे धन लूटना ही वकीलों का धर्म बन गया हैं। वकील धन के लिए गलत व्यक्ति के पक्ष में लड़ते हैं। मजिस्ट्रेट के अलोपीदीन के हक में फैसला सुनाने पर वकील खुशी से उछल पड़ता है।
3. शहर की भीड़ – शहर की भीड़ दूसरों के दुखों में तमाशे जैसा मज़ा लेती है। पाठ में एक स्थान पर कहा गया है – ‘भीड़ के मारे छत और दीवार में भेद न रह गया।’
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4. निम्न पंक्तियों को ध्यान से पढि़ए –
नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढ़ना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। ऊपरी आय बहता हुआ स्रोत है जिससे सदैव प्यास बुझती है। वेतन मनुष्य देता है, इसी से उसमें वृद्धि नहीं होती।
ऊपरी आमदनी ईश्वर देता है, इसी से उसकी बरकत होती है, तुम स्वयं विद्वान हो, तुम्हें क्या समझाऊँ।
1. यह किसकी उक्ति है?
2. मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद क्यों कहा गया है?
3. क्या आप एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत हैं?
उत्तर:- 1. यह उक्ति बूढ़े मुंशीजी की है।
2. मासिक वेतन को पूर्णमासी का चाँद कहा गया है क्योंकि वह महीने में एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। वेतन भी एक ही दिन आता है जैसे-जैसे माह आगे बढ़ता है वैसे वह खर्च होता जाता है।
3. जी नहीं, मैं एक पिता के इस वक्तव्य से सहमत नहीं हूँ। किसी भी व्यक्ति को भ्रष्टाचार से दूर रहना चाहिए। एक पिता अपने बेटे को रिश्वत लेने की सलाह नहीं दे सकता और न देनी चाहिए।
5. ‘नमक का दारोगा‘ कहानी के कोई दो अन्य शीर्षक बताते हुए उसके आधार को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- ईमानदारी का फल – ईमानदारी का फल हमेंशा सुखद होता है। मुंशी वंशीधर को भी कठिनाइयों सहने के बाद अंत में ईमानदारी का सुखद फल मिलता है।
भ्रष्टाचार और न्याय व्यवस्था – इस कहानी में दिखाया गया है कि न्याय के रक्षक वकील कैसे अपने ईमान को बेचकर गलत आलोपीदीन का साथ देते हैं।