Hindi, asked by bhokaremahesh2009, 12 days ago

बेटा-बेटी एक समान इस विषय पर अपने विचार लिखो​

Answers

Answered by manvisharma2618
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Answer:

साथियों लड़का-लड़की समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं।एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा है। लेकिन हम जीवन के धरातल पर दोनों को देखें तो लड़की आज के आधुनिक युग में भी दुनिया में अपने समान अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। कुछ लड़कियों को उनके जन्म से पहले ही मार दिया जाता है। इसका कारण अगर देखा जाए तो हमारे भारतीय समाज में एक लड़की को जन्म से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जन्म के बाद कुछ इलाकों में मां- बाप उसे बोझ समझने लगते हैं। उसे घर के चूल्हा-चौका तक ही सीमित रखा जाता है। और शादी के बाद जब वह दूसरे घर जाती है, तो ससुराल में उसे घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। वही समाज में लड़के को कमाऊ, घर चलाने वाला, घर का मुखिया समझा जाता है।लेकिन साथियों समय लगातार बदल रहा है। यह युग प्रगति का युग है। तेजी से बदलती हुई दुनिया में कुछ बदलाव भी आया है। हाल ही में बहुत असमानताओं के होते हुए भी धाविका हिमा रणजीत दास ने सर्वाधिक स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। वहीं चंद्रयान-2 के सपनों को आकार देने में रितु करीधाल व एम वनीता दो महिला वैज्ञानिकों के रूप में नारी शक्ति का एक नया रूप देखने को मिला है। वही हम इतिहास के पन्नों को झांक कर देखें तो हमें रानी लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, गीता फोगाट, मैरी कॉम आदि हस्तियों की कहानियां हमें आज भी साहस और ताकत देती है। साथियों हमें समय के साथ अपनी सोच को बदलना चाहिए। व बालक-बालिका एक समान की सोच हमें अपने परिवार से ही शुरू करनी चाहिए। हमें बेटा और बेटी में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि दोनों को आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करने चाहिए। क्योंकि बेटा-बेटी एक समान दोनों से होगा खुशहाल ज़हान, बातें करना है बहुत आसान, हम बेटियों को चाहिए सम्मान।

Answered by saloni1234sk
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Answer:

beti beta ek saman hote hai jo log aaj bhi ye samjhte hai ki beti ko ghar ke kam me hi rahna chahiye to we log ye nahi jante ki beti kya kya kar sakti hai. wo desh ki sarkar bana sakti hai desh chala shakti hai plane ura sakti hai.

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