Hindi, asked by satnamgujjar0542, 9 months ago

बेटा बेटी एक समान पर अनुच्छेद​

Answers

Answered by madhokyash75
8

Answer:

साथियों लड़का-लड़की समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं।एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा है। लेकिन हम जीवन के धरातल पर दोनों को देखें तो लड़की आज के आधुनिक युग में भी दुनिया में अपने समान अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। कुछ लड़कियों को उनके जन्म से पहले ही मार दिया जाता है। इसका कारण अगर देखा जाए तो हमारे भारतीय समाज में एक लड़की को जन्म से ही बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जन्म के बाद कुछ इलाकों में मां- बाप उसे बोझ समझने लगते हैं। उसे घर के चूल्हा-चौका तक ही सीमित रखा जाता है। और शादी के बाद जब वह दूसरे घर जाती है, तो ससुराल में उसे घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। वही समाज में लड़के को कमाऊ, घर चलाने वाला, घर का मुखिया समझा जाता है।लेकिन साथियों समय लगातार बदल रहा है। यह युग प्रगति का युग है। तेजी से बदलती हुई दुनिया में कुछ बदलाव भी आया है। हाल ही में बहुत असमानताओं के होते हुए भी धाविका हिमा रणजीत दास ने सर्वाधिक स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। वहीं चंद्रयान-2 के सपनों को आकार देने में रितु करीधाल व एम वनीता दो महिला वैज्ञानिकों के रूप में नारी शक्ति का एक नया रूप देखने को मिला है। वही हम इतिहास के पन्नों को झांक कर देखें तो हमें रानी लक्ष्मीबाई, कल्पना चावला, इंदिरा गांधी, गीता फोगाट, मैरी कॉम आदि हस्तियों की कहानियां हमें आज भी साहस और ताकत देती है। साथियों हमें समय के साथ अपनी सोच को बदलना चाहिए। व बालक-बालिका एक समान की सोच हमें अपने परिवार से ही शुरू करनी चाहिए। हमें बेटा और बेटी में कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि दोनों को आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करने चाहिए। क्योंकि बेटा-बेटी एक समान दोनों से होगा खुशहाल ज़हान, बातें करना है बहुत आसान, हम बेटियों को चाहिए सम्मान। 

Answered by TheNarayan
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Explanation:

आज के समय में लड़का लड़की एक सामान है। आज अगर कोई ये मानता है की लड़की कुछ नही कर सकती और लड़का सब कुछ कर सकता है तो वो इंसान बिलकुल गलत है।आज का समय पहले की तरह नही जहाँ लड़कियों को सिर्फ घर का काम और बच्चो को संभालने की जिमेदारी दी जाती थी और ये माना जाता था की इसके इलावा लड़कियां और कुछ नही कर सकती। अब वो युग है जहाँ लड़कियां लड़को के कंधे से कन्धा मिला के काम करती है।अब सरकार और समाज ने दोनों को बराबरी का दर्जा दिया है। सभी क्षैत्रों में लड़का-लड़की दोनों सामान तरक्क़ी कर रहे है। कल्पना चावला, इंदिरा गांधी जैसी कई औरतों ने साबित किया है की दोनों में कोई भेदभाव नहीं है। इंजीनियरिंग , डॉक्टर, वकील ,चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि सभी महत्पूर्ण पेशो में लड़कियां बराबरी से अपना नाम रोशन कर रही हैं। आगे भविष्य में भी लड़का और लड़की दोनों समानता से विश्व में मानव जाति के विकास में योगदान देंगे।लेकिन अभी भी कई इलाके ऐसे है जहाँ लड़कियों के साथ भेदभाव किया जाता है और उन्हें जनम से पहले ही मार दिया जाता है। हमे ऐसे लोगो को जागरूक करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि वो इस बात को समाज सके की लड़का लड़की दोनों एक सामान|

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