बात बात कोई चुभने लगे तो बदलकर मोडना सीख लिजे
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पिंजरे में कैद रखकर उनके पंखों की आजादी को रोक दिया जाता है, जो कि उचित नहीं है। इसलिए राजा द्वारा चिड़िया को सोने के पिंजरे में रखना बिल्कुल भी उचित नहीं था। कोई भी पक्षी पहले में कैद रखकर अपनी स्वाभाविक वृत्ति में नही रह सकता, ना ही वह खुश रह सकता है। उसकी खुशी आजादी में होती ह, आकाश में उड़ान भरने की होती है।
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