Hindi, asked by janhavipawar2911, 1 month ago

बीत गया हेमंत भ्रात, शिशिर ऋतु आई
प्रकृति हुई युतिहीन, अवनि में कुंझटिका है छाई
पड़ता खूब तुषार पद्मदल तालों में बिलखाते,
अन्यायी नृप के दंडों से
के दंडों से यथा लोग दुख
पाते
सरल अर्थ लिखिए​

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Answered by shishir303
4

➲ मुकुटधर पांडेय की ‘शिशिर’ नामक कविता इन तीन पंक्तियों का भावार्थ यह है...

बीत गया हेमंत भ्रात, शिशिर ऋतु आई

प्रकृति हुई युतिहीन, अवनि में कुंझटिका है छाई

पड़ता खूब तुषार पद्मदल तालों में बिलखाते

अन्यायी नृप के दण्डों से यथा लोग दुःख पाते

व्याख्या ⦂ कवि कहते हैं कि शिशिर ऋतु के बड़े भाई हेमंत का समय अब चला गया है। अब शिशिर ऋतु का आगमन हो गया है। शिशिर ऋतु अपनी चरम पर है और उसकी कंपा देने वाली ठंड से प्रकृति की चमक भी चारों तरफ खत्म हो गई है। प्रकृति कांति विहीन हो गई है। पृथ्वी पर चारों ओर ठंड का धुंधलका छा गया है।

कवि कहता है कि अत्यधिक ठंड होने के कारण चारों तरफ को बर्फ गिर रही है। इस बर्फ के गिरने के कारण तालाब में खिले हुए फूलों को बहुत कष्ट हो रहा है। यह कष्ट बिल्कुल उसी तरह है, जिस तरह कोई निर्दयी और अन्यायी राजा तरह-तरह के दंड लगाकर अपनी प्रजा को प्रताड़ित करता है और उसकी प्रजा उससे दुखी रहती है।

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