Hindi, asked by ludreshwar, 11 months ago

'बीती' विभावरी जाग री' कविता का केंद्रीय भाव लिखिए

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Answered by kritikasharma62
5

Answer:

जयशंकर प्रसाद की इस कविता में उषाकाल (सुबह) का बड़ा सुन्दर वर्णन है| उपमा तो बिलकुल कालिदास जैसी है| जयशंकर प्रसाद छायावाद के चार स्तंभों में से एक हैं| उनकी कवितायें समझ में आ जाएँ तो बड़ी अच्छी लगती हैं| पर अक्सर समझ में आती नहीं| भाषा बड़ी संस्कृत-निष्ठ होती है| ढेर सारे तत्सम शब्द होते हैं जो हम बोल-चाल की भाषा में इस्तेमाल नहीं करते हैं| इन शब्दों का अर्थ इन्टरनेट पर भी आसानी से नहीं मिलता| फिर भी ये कविता डाल रहा हूँ| बड़ी मीठी है| काश कोई इसको लयबद्ध करता!

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Answered by efimia
9

कवि जयशंकर प्रसाद जी ने सुबह के वातावरण का अत्यन्त ही मनोरम चित्रण किया हैं। उनके बारीक़ दृष्टि से इस समय की कोई भी छोटी-बड़ी घटना बची नहीं हैै। प्रकृति के सौंदर्य के वर्णन करते हुए कवि ने उसमें चेतना का आरोप करते हुए उसका मानवीकरण कर दिया है। उन्होंने समय और प्रकृति के साथ एक ताल-मेल बिठाने की कोशिश की हैं। और उसके मध्यम से वो मानवों को समय कीमत समझाते हुए प्रभात की तरह उत्साहित और खुबसूरत रहने की सलाह देते हुए दीखते हैं। यह पंक्तिया एक रमणी और अल्हड को जगाने की कोशिश कर रही हैं जो रात को प्रियतम के प्रेम में इतना खो गयी है जो अभी तक सोयी हुई हैं।

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