बोतो विभावरो जाग रो कविता में जागरण का आहवान ह वतमान स्थिति मं हम किन रूपा म जागत
हान को आवश्यकता हो स्पष्ट कोजिए
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कवि कहता है- 'रात बीत गई है सखी! अब जाग जा। देख उषा-काल में अरुणिम उषा की उज्ज्वलता के कारण तारें ऐसे विलीन हुए जाते हैं मानो कोई सुंदर रमणी(उषा रूपी) अपने घट को (ताराओं के) पनघट/सरोवर में (अम्बर रूपी) डुबो रही हो।' इस प्रकार कवि ने उषा के आगमन से अंधकार के तिरोहित हो जाने तथा तारकों के प्रकाश में विलीन होने की क्रिया को रमणी, घट और पनघट के रूपक से प्रकट किया है।
कवि आगे कहता है- 'सखी देख 'खग-कुल'
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please mark the brainlist and thanks
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