Hindi, asked by jyoti56799, 6 months ago

बुंदेली भाषा पर 5 शब्द​

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Answered by sirkamleshkumar70
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बुंदेली भारत के एक विशेष क्षेत्र बुन्देलखण्ड में बोली जाती है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में आ रहे हैं। बुंदेलखंडी के ढेरों शब्दों के अर्थ बंग्ला तथा मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं।

प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह‍ भी जाता है कि औरंगजेब और शिवाजी भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें बांदा का अक्खड़पन है और नरसिंहपुर की मधुरता भी है।

कुछ प्रसिध्द शब्द

कपडालत्तां=कपड़े

संजा- शाम

उमदा-अच्छा

काय-क्यों

का-क्या

हओ-हां

पुसात-पसंद आता है।

हुईये-होगा

इखों-इसको

उखों-उसको

इको-इसका

अपनोंरें-हम सब

हमोरे-हम सब(जब किसी दूसरे व्यक्ति से बोल रहे हों)

रींछ-भालू

लडैया-भेडिया

मंदर-मंदिर

जमाने भर के-दुनिया भर के

उलांयते़-जल्दी

तोसे-तुमसे

मोसे-मुझसे

किते - कहां

एते आ - यहां आ

नें करो- मत करो

करियो- करना (तुम वह आप के उच्चारण में)

करिये- करना (तू के उच्चारण में)

तैं-तू

हम-मैं

जेहें-जायेंगे/जायेंगी

जेहे-जायेगा/जायेंगी

नें-नहीं व मत के उच्चारण में

खीब-खूब

ररो/मुलक/मुझको/वेंजा-बहुत

टाठी-थाली

चीनवो-जानना

लगां/लिंगा-पास में

नो/लों-तक

हे-को

आय-है

हैगो/हैगी-है

हमाओ/हमरो-मेरा

हमायी/हमरी-मेरी

हमाये/हमरे-मेरे

किते, कहाँ

इते, यहाँ

सई, सच

सपन्ना , स्नानघर

जिसको मराठी आती है ओ ऊपर दिए गए शब्दों में 40% शब्द मराठी में आज भी इस्तेमाल होते है और जान जाएगा कि बुन्देली और मराठी का रिश्ता हिंदी से भी ज्यादा जुड़वा है।

Answered by aayusharma49
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Answer:

बुंदेलखंड के निवासियों द्वारा बोली जाने वाली बोली बुंदेली है। यह कहना बहुत कठिन है कि बुंदेली कितनी पुरानी बोली हैं लेकिन ठेठ बुंदेली के शब्द अनूठे हैं जो सादियों से आज तक प्रयोग में हैं। केवल संस्कृत या हिंदी पढ़ने वालों को उनके अर्थ समझना कठिन हैं। ऐसे सैकड़ों शब्द जो बुंदेली के निजी है, उनके अर्थ केवल हिंदी जानने वाले नहीं बतला सकते किंतु बंगला या मैथिली बोलने वाले आसानी से बता सकते हैं। प्राचीन काल में बुंदेली में शासकीय पत्र व्यवहार, संदेश, बीजक, राजपत्र, मैत्री संधियों के अभिलेख प्रचुर मात्रा में मिलते है। कहा तो यह‍ भी जाता है कि औरंगजेब और शिवाजी भी क्षेत्र के हिंदू राजाओं से बुंदेली में ही पत्र व्यवहार करते थे। ठेठ बुंदेली का शब्दकोश भी हिंदी से अलग है और माना जाता है कि वह संस्कृत पर आधारित नहीं हैं। एक-एक क्षण के लिए अलग-अलग शब्द हैं। गीतो में प्रकृति के वर्णन के लिए, अकेली संध्या के लिए बुंदेली में इक्कीस शब्द हैं। बुंदेली में वैविध्य है, इसमें बांदा का अक्खड़पन है और नरसिंहपुर की मधुरता भी है। डॉ॰ वीरेंद्र वर्मा ने हिंदी भाषा का इतिहास नामक ग्रंथ में लिखा है कि बुंदेली बुंदेलखंड की उपभाषा है। शुद्ध रूप में यह झांसी, जालौन, हमीरपुर, ग्वालियर, ओरछा, सागर, नरसिंहपुर, सिवनी तथा होशंगाबाद में बोली जाती है। इसके कई मिश्रित रूप दतिया, पन्ना, चरखारी, दमोह, बालाघाट तथा छिंदवाड़ा विदिशा के कुछ भागों में पाए जाते हैं।कुछ कुछ बांदा के हिस्से में भी बोली जाती है .

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