बुंदेली की उप बोलियों का संक्षिप्त में वर्णन कीजिए
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बुंदेली की उप बोलियों का संक्षिप्त में वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है।
बुंदेली की तीन प्रमुख बोलियां है।
- पँवारी - यह बोली ग्वालियर के उत्तर पूर्व दतिया व उसके आस पास के क्षेत्रों में बोली जाती है।
- लोधान्ती या राठौरी - इस बोली का प्रयोग हमीर पुर के राठ क्षेत्र में और जालौन के समीप वर्ती क्षेत्रों में किया जाता है।
- खटोला - इस बोली का प्रयोग दमोह जिले और दक्षिण पूर्वी क्षेत्रों के भाषिक व्यवहार के रूप में होता है।
- उत्तर ब्रज तथा कन्नौजी , पूर्वी क्षेत्र में अवधि, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी बोली का प्रभाव है ।
- सिवनी तथा छिंदवाड़ा तक बोली जाने वाली बुन्देली पर मराठी प्रभाव दिखाई देता है।
- नर्मदा के दक्षिण में बैतूल का प्रभाव दिखाई देता है।
- ठेठ या आदर्श बुन्देली के शब्द हिन्दी से अलग है जैसे भुंसारे - सुबह को तथा सवेरे को संकारे बोला जाता है।बटाठाई का अर्थ है बिना काम जा या आवारा। दांद को उमस तथा घांई का अर्थ है जैसा।
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