बुंदेली लोक साहित्य पर प्रकाश डालिए
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बुन्देलखण्ड में लोक साहित्य की समृद्ध वाचिक परम्परा है। बुन्देली भाषा की रचनाओं का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। इस सहस्त्राब्दी के कालखण्ड में लोक साहित्य की विभिन्न विधाओं का सृजन और विकास हुआ है। मूल रचनाकारों द्वारा रचा गया साहित्य अपनी प्रासंगिकता तथा लोकाभिरुचि के कारण लोककंठ में बसकर लोक की थाती बनता गया। काल के प्रवाह में लोक की सीमाओं और परिवर्तित परिस्थितियों के परिणामस्वरूप मूलरचना में परिवर्तन होते रहे। इसी लिए विभिन्न स्थानों पर एक की रचना के अनेक पाठान्तर मिलते हैं। लोक साहित्य की इस वैविध्यपूर्ण विरासत में लोकगीत, लोकगाथायें, लोककथायें एवं लोकसुभाषित (लोकोक्तियाँ अर्थात कहावतें, मुहावरे तथा बुझौअल अर्थात पहेलियाँ) सम्मिलित हैं।
kk0365402:
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Ma ka bhola
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