बिंदु पद्धति के जनक कौन.
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शिक्षक हमेशा शिक्षा का केंद्र बिंदु रहेगा, तकनीक के माध्यम से सुदूर बैठे छात्रों को शिक्षक ही अच्छी तरह मार्गदर्शन दे सकता है। कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निग के अध्यक्ष व ओपन एजुकेशन के जनक प्रो. जॉन डेनियल ने कनाडा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आइसीटी के तहत 'इनिशिएटिव्स, पॉलीसीज एंड गवर्नेस' विषय पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में शिरकत की। उन्होंने दूरस्थ शिक्षा के फायदों और तकनीक की अहमियत पर विचार रखे। संगोष्ठी के अंतिम दिन पैनल डिस्कशन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने तकनीक के इस्तेमाल पर जोर दिया।
मंगलवार को संगोष्ठी की समाप्ति पर कॉमनवेल्थ ऑफ लर्निग के अध्यक्ष व ओपन एजुकेशन के जनक प्रो. जॉन डेनियल ने कनाडा से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि दूरस्थ शिक्षा के तीन फायदे हैं, इसकी पहुंच अधिकतम लोगों तक हो सकती है, यह गुणवत्ता के बेहतरीन स्तर तक जाती है और इसकी लागत बेहद कम है। ओपन एजुकेशन रिसोर्स यूनिवर्सिटी के प्रो. वायने मैकिंटॉस ने न्यूजीलैंड से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से कहा कि दुनिया को उच्च स्तर की अध्ययन सामग्री तैयार करने और इसे बेहद कम कीमत पर छात्रों को उपलब्ध कराने की जरूरत है। यूनेस्को की मदद से रिसोर्स विवि यह कार्य करता है। उन्होंने भारतीय विश्वविद्यालयों से मुहिम का हिस्सा बनने की अपील की। सिंगापुर एनटीयू के निदेशक डॉ. डेनियल टैंग टियांग हॉक ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि युवा पीढ़ी तकनीक से लैस है, उनके पास कम समय है और उन्हें हर हाल में सफलता चाहिए। ऐसे में सामूहिक शिक्षण और दूरस्थ शिक्षा बेहद अहम साबित हो सकती है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उत्तराखंड मुक्त विवि के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, राजर्षि टंडन ओपन विवि इलाहाबाद के कुलपति प्रो. एके बख्शी, कामनवेल्थ ऑफ लर्निग की उपाध्यक्ष आशा कंवर ने भी विशेषज्ञों के साथ विमर्श किया। इसी सत्र में मुंबई की मल्टी मीडिया विशेषज्ञ सुचित्रा फड़के ने शिक्षण सामग्री को स्तरीय मल्टीमीडिया से समृद्ध करने पर जोर दिया। द्वितीय सत्र में 'द रोड अहेड' के तहत तमाम ओपन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भविष्य की योजनाओं पर विमर्श किया।