Biology, asked by adnanrazaa16, 6 months ago

बुद्रुक जल का सर्वाधिक मात्र का उपयोग किन कार्यों में होता है​

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Answered by BRAINLYBILALFAROOQ
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जल संसाधन का उपयोग कृषि में सिंचाई के अलावा मनुष्यों, पशुओं और अन्य जीवों के पीने के लिये, शक्ति के उत्पादन गंदे पानी को बहाने, सफाई, घोंघा, मछलीपालन, मनोरंजन, औद्योगिक कार्य एवं सौर परिवहन आदि हेतु किया जाता है। ऊपरी महानदी बेसिन में वर्तमान में जल का उपयोग घरेलू, औद्योगिक कार्य, मत्स्यपालन, शक्ति के उत्पादन एवं मनोरंजन हेतु किया जा रहा है।

जल संसाधन का मानव के लिये उपयोग :

जल एवं मानव का गहरा एवं व्यापक सम्बन्ध है। मनुष्य जल को विभिन्न कार्यों में प्रयोग करता है। जैसे इमारतों, नहरों, घाटी, पुलों, जलघरों, जलकुंडों, नालियों एवं शक्तिघरों आदि के निर्माण में। जल का अन्य उपयोग खाना पकाने, सफाई करने, गर्म पदार्थ को ठंडा करने, वाष्प शक्ति, परिवहन, सिंचाई व मत्स्यपालन आदि कार्यों के लिये किया जाता है। ऊपरी महानदी बेसिन में शहरी क्षेत्रों में औसत 70 लीटर प्रति व्यक्ति एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 40 लीटर प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन जल का उपयोग किया जाता है।

जल का उपयोग :

(1) सिंचाई :

बेसिन में जल संसाधन का कुल उपलब्ध जल राशि का 44 प्रतिशत सिंचाई कार्यों में प्रयुक्त होता है। बेसिन में 41,165 लाख घनमीटर सतही जल एवं 11,132 .93 लाख घन मीटर भूगर्भजल सिंचाई कार्यों में प्रयुक्त होता है।

बेसिन में जल संसाधन विकास की पर्याप्त सम्भावनाएँ हैं। यहाँ उपलब्ध कुल जल राशि का 1,52,277.98 लाख घन मीटर जल सिंचाई कार्यों में उपयोग में लाया जाता है, शेष जल राशि का उपयोग अन्य कार्यों औद्योगिक, मत्स्यपालन आदि में प्रयुक्त होता है। सतही एवं भूगर्भ जल का सर्वाधिक उपयोग रायपुर जिले में होता है।

ऊपरी महानदी बेसिन में नदियों के जल को संग्रहित करने हेतु जलाशयों का निर्माण किया गया है, जिससे नहरें निकालकर सिंचाई की जाती हैं। इन नहरों में महानदी मुख्य नहर- मांढर, अभनपुर, लिफ्ट नहरें, भाटापारा एवं लवन शाना नहर, सोदूर एवं महानदी प्रदायक नहर, पैरी लिंक नहरें, प्रमुख हैं, जो मुरूमसिल्ली, दुधावा, रविशंकर सागर, सोंदूर, सिकासार एवं पैरी हाईडेम तथा रूद्री बैराज (खूबचंद बघेल बैराज) से निकाली गई है। इनसे 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है। बेसिन में इनके जल का 26.99 प्रतिशत भाग सिंचाई के लिये प्रयुक्त होता है। इसमें रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगाँव एवं बस्तर जिले के कांकेर तहसील का क्षेत्र सम्मिलित है। सिंचाई की सुविधा होने से खरीफ एवं रबी फसलों की कृषि की जाती है। यहाँ सिंचाई के अधिक विकास के लिये छोटी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएँ निर्मित की गई हैं। इनमें रविशंकर सागर, दुधावा, मुरूमसिल्ली, सिकासार, कोडार, पैरी हाईडेम, हसदेव-बांगो, तादुला-खरखरा एवं सोंदूर बड़ी परियोजना है। केशवनाला, कुम्हारी, पिंड्रावन एवं राजनांदगाँव मध्यम परियोजना एवं रायपुर महासमुंद, सराईपाली, गरियाबंद, बलौदा बाजार, कांकेर छोटी सिंचाई परियोजनाएँ है। इन परियोजनाओं में वास्तविक सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है।

(2) औद्योगिक कार्य :

औद्योगिक कारखानों के संचालन के लिये जल की खपत होती है। इंजनों, रासायनिक क्रियाओं के लिये, वस्त्र उद्योग में धुलाई, रंगाई-छपाई के लिये, लौह इस्पात उद्योगों में धातु को ठंडा करने के लिये, कोयला उद्योग में कोक को धोने के लिये, रसायन उद्योग में क्षारों और अम्लों के निर्माण तथा चमड़ा उद्योगों में भी अधिक मात्रा में शुद्ध जल का प्रयोग होता है। ऊपरी महानदी बेसिन में कोरबा, चांपा, अकलतरा औद्योगिक क्षेत्र में 210.10 लाख घनमीटर जल मनियारी, खारंग एवं हसदेव-बांगो परियोजना से मिलती है। भिलाई इस्पात संयंत्र के लिये 41 लाख घनमीटर जल रविशंकर सागर परियोजना से प्राप्त होता है।

(3) शक्ति संसाधन के रूप में जल का उपयोग :

ऊपरी महानदी बेसिन के दो वृह्द जलाशय परियोजना है। इनमें (1) रविशंकर सागर परियोजना (गंगरेल) एवं (2) हसदेव बांगो परियोजना कोरबा (बिलासपुर) है। यहाँ शक्ति के उत्पादन में जल का उपयोग हो रहा है। बेसिन में कोयला से तापीय विद्युत शक्ति गृह केंद्र कोरबा में है। वर्तमान में औद्योगिक कारखानों के लिये, मशीनों को चलाने के लिये, धातु को गलाने एवं परिवहन के साधनों (रेलगाड़ियों आदि) में जल विद्युत शक्ति का प्रयोग होता है। यह सस्ता शक्ति उत्पादन होता है।

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Answered by shikhakumari30
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kheti me ,sichayi karne me sarvadhik upyog hota h

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