बंद दरवाज़ों खिड़कियों में ।
पोछ दूँगी अँधेरा, जो तेरे माथे की सिलवटों में सिमटा है
कभी-कभी झर जाता है ओस की बूंदों-सा, आँखों की कोरों से ।
आने तो दे, धुल जाएगा सारा का सारा रूखीला अहसास
अकड़ीला मिज़ाज जो चिपका है घर की सारी की सारी दीवारों
तेरी आँखों में तैरते ये समुन्दर ये आसमान के अक्स
पक
मैंने देख लिए हैं माँ ।
माँ
जा सकती हूँ मैं दूर-पार, उस झिलमिलाती दुनिया में
ला सकती हूँ वहाँ से चमकीले टुकड़े तेरे सपनों के,
समुन्दर की लहरों के थपेड़ों में ढूंढ़ सकती हूँ मैं
मोती और सीपी और नाविकों के किस्से । कौन लिखा
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WHAT'S THE QUESTION DEAR???
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I can’t understand ur question ask properly
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