बुद्धि भगवान की देन है और विद्या गुरु की इस पर कहानी लिखिए
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साहित्य संगीत कला विहीनः
साक्षात पशुः पुच्छविषाण हीनः
अर्थात हम अपने जीवन को पशुता से ऊपर उठाकर विद्या संपन्न, गुण संपन्न बनाएँ, बसंत पंचमी इसी प्रेरणा का त्योहार है। बसंत पंचमी शिक्षा, साक्षरता, विद्या और विनय का पर्व है। यह कला, विविध गुण, विद्या, साधना को बढ़ाने और उन्हें प्रोत्साहित करने का पर्व है। मनुष्यों मेंसांसारिक, व्यक्तिगत जीवन का सौष्ठव, सौंदर्य, मधुरता उसकी सुव्यवस्था यह सब विद्या, शिक्षा तथा गुणों के ऊपर ही निर्भर करते हैं। अशिक्षित, गुणहीन, बलहीन व्यक्ति को हमारे यहाँ पशु तुल्य माना गया है।
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