Hindi, asked by uniqueunnati, 8 months ago

बुद्धि का निवास भी शरीर में ही होता है। इसीलिए स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होसकता है। खेल-कूदों से शरीर पुष्ट तथा स्वस्थ रहता है इसीलिए शिक्षा में खेल-कूद का बहुत महत्त्व है। खेल कूद के अभाव में शिक्षा पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित रह जाती है। तथा पढ़ने वाला दुर्बल शरीर वाला किताबी कीड़ा बन कर रह जाता है। खेल-कूद से शरीर चुस्त, फुर्तीला, स्वस्थ तथा नीरोग रहता है। खेल के मैदान में विद्यार्थी धैर्य, धार्मिक सदभावना, एकता, संयम, आपसी सहयोग, प्रेम, भाईचारा जैसे गुण विकसित कर लेता है। जो विद्यार्थी खेलकूद में रुचि नहीं लेते, वे जीवन भर रोगी तथा दुर्बल बने रहते हैं|ऐसे विद्यार्थी अपने कर्तव्यों को ठीक प्रकार से नहीं निभा पाते|. । गद्यांश का उचित शीर्षक क्या होगा ? I'll mark you as brainliest​

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Answered by sushmadas930
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Answer:

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Answered by SwaggerGabru
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\huge\red{\underline{{\boxed{\textbf{QUESTION}}}}}

बुद्धि का निवास भी शरीर में ही होता है। इसीलिए स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास हो संकटा है खेल-कूदों से शरीर पुष्ट तथा स्वस्थ रहता है इसीलिए शिक्षा में खेल-कूद का बहुत महत्त्व है। खेल कूद के अभाव में शिक्षा पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित रह जाती है। तथा पढ़ने वाला दुर्बल शरीर वाला किताबी कीड़ा बन कर रह जाता । खेल-कूद से शरीर चुस्त, फुर्तीला, स्वस्थ तथा नीरोग रहता है। खेल के मैदान में विद्यार्थी धैर्य, धार्मिक सदभावना, एकता, संयम, आपसी सहयोग, प्रेम, भाईचारा जैसे गुण विकसित कर लेता है। जो विद्यार्थी खेलकूद में रुचि नहीं लेते, वे जीवन भर रोगी तथा दुर्बल बने रहते हैं|

\huge\red{\underline{{\boxed{\textbf{ANSWER}}}}}

___________आंतरिक स्वास्थ्य___________

बुद्धि का निवास भी शरीर में ही होता है। इसीलिए स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास हो सकता है खेल-कूदों से शरीर पुष्ट तथा स्वस्थ रहता है इसीलिए शिक्षा में खेल-कूद का बहुत महत्त्व है। खेल कूद के अभाव में शिक्षा पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित रह जाती है। तथा पढ़ने वाला दुर्बल शरीर वाला किताबी कीड़ा बन कर रह जाता । खेल-कूद से शरीर चुस्त, फुर्तीला, स्वस्थ तथा नीरोग रहता है। खेल के मैदान में विद्यार्थी धैर्य, धार्मिक सदभावना, एकता, संयम, आपसी सहयोग, प्रेम, भाईचारा जैसे गुण विकसित कर लेता है। जो विद्यार्थी खेलकूद में रुचि नहीं लेते, वे जीवन भर रोगी तथा दुर्बल बने रहते हैं|

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@HarshPratapSingh

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