बुद्ध के पार्थिव शरीर को अंत में कहाँ ले जाया गया था ?
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भगवान बुद्ध की ऐसे हुई थी मृत्यु
Updated: | Sat, 12 Mar 2016 05:11 PM (IST)
सिद्धार्थ, ही गौतम बुद्ध थे। जो आगे चलकर बौद्ध के के प्रवर्तक बने।
सिद्धार्थ, ही गौतम बुद्ध थे। जो आगे चलकर बौद्ध के के प्रवर्तक बने। बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिंहली, अनुश्रुति, खारवेल के अभिलेख, अशोक के सिंहासनारोहण की तिथि, कैण्टन के अभिलेख आदि के आधार पर भगवान बुद्ध की जन्म तिथि 563 ई.पूर्व स्वीकार की गयी है। भगवान बुद्ध को तथागत भी कहा जाता है।
बुद्ध का जन्म शाक्यवंश के राजा शुद्धोदन की रानी महामाया के गर्भ से लुम्बिनी में वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था। शाक्य गणराज्य की राजधानी कपिलवस्तु थी। सिद्धार्थ के पिता शाक्यों के राजा शुद्धोधन थे। बुद्ध को शाक्य मुनि भी कहते हैं।
सिद्धार्थ की मां मायादेवी उनके जन्म के कुछ देर बाद मर गई थी। कहा जाता है कि फिर एक ऋषि ने कहा कि वे या तो एक महान राजा बनेंगे, या फिर एक महान साधु। ज्ञान प्राप्ति के समय उनकी अवस्था 35 वर्ष थी। ज्ञान प्राप्ति के बाद 'तपस्सु' तथा 'काल्लिक' नामक दो शूद्र उनके पास आये। महात्मा बुद्ध नें उन्हें ज्ञान दिया और बौद्ध धर्म का प्रथम अनुयायी बनाया।
80 वर्ष की आयु में मृत्यु
गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. में पूर्व कुशीनारा में हुई थी। उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे 'महापरिनिर्वाण' कहते हैं। लेकिन उनकी मृत्यु के मत में बौद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकार एकमत नहीं हैं।
भगवान बुद्ध के अंतिम शब्द
'हे भिक्षुओं, इस समय आज तुमसे इतना ही कहता हूंकि जितने भी संस्कार हैं, सब नाश होने वाले हैं, प्रमाद रहित हो कर अपना कल्याण करो। यह 483 ई. पू. की घटना है। वे अस्सी वर्ष के थे।'