बौद्धिक विकास के लिए गहन अध्ययन की क्यों आवश्यक है
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भारतीय शैक्षिक पद्धति छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण बौद्धिक विकास का मूल आधार रही है। वर्तमान में हमें अपनी शैक्षिक पद्धति में वैदिक अध्ययन विधि की दृष्टि को समाहित करना होगा। यह बात ग्लोबल एज्यूकेशन वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष कमलेश चंद्रा ने कही।
अवसर था बीकानेर प्रौढ़ शिक्षण समिति की ओर से संस्थापक अध्यक्ष मेजर जनरल जयदेव सिंह भार्गव स्मृति विचार पीठ के तहत आयोजित ‘शिक्षा और स्मृति’ विषय विचार गोष्ठी का।
प्रौढ़ शिक्षा सभागार में आयोजित गोष्ठी में मुख्य वक्ता कमलेश चंद्रा ने कहा, स्मृति विकसित होगी तभी शिक्षा प्राप्त करने की क्षमता अधिक विकसित गतिशील बनेंगी। चंद्रा ने विभिन्न प्रायोगिक अभ्यासों के जरिये मस्तिष्क की क्षमता स्मृति की तीक्ष्णता के उदाहरण प्रस्तुत किए।
गोष्ठी अध्यक्ष जन शिक्षण संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ.विभा बंसल ने कहा, बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए उनकी सीखने की वैदिक प्रक्रिया श्रुति, स्मृति आवृत्ति के प्रायोगिक प्रयोग करने होंगे।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ.ब्रज रतन जोशी ने कहा कि चंद्रा की स्मृति के प्रायोगिक उदाहरण हमें भारतीय मनीषा के प्रति अटल विश्वास जागृत करते है। आज के समय में इसका महत्व सर्वाधिक है। इस मौके पर कमलेश चंद्रा का स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में समिति के व्यवस्था सचिव अविनाश भार्गव, संपत जैन आदि ने विचार रखे
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