बुद्धिमान गुरुजनों ने किससे विशेषता दिलाएं
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काकी
काकीसियारामशरण गुप्त
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदी
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंध
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोद
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषी
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्र
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिका
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिकानाटक : पुण्य पर्व, उन्मुक्त गीत
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिकानाटक : पुण्य पर्व, उन्मुक्त गीतअनुवाद : ईशोपनिषद, धम्मपद, भगवत गीता (सभी छंद में)
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिकानाटक : पुण्य पर्व, उन्मुक्त गीतअनुवाद : ईशोपनिषद, धम्मपद, भगवत गीता (सभी छंद में)काव्य ग्रन्थ : दैनिकी, नकुल, नोआखली में, जय हिन्द, पाथेय, मृण्मयी, आत्मोसर्ग
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिकानाटक : पुण्य पर्व, उन्मुक्त गीतअनुवाद : ईशोपनिषद, धम्मपद, भगवत गीता (सभी छंद में)काव्य ग्रन्थ : दैनिकी, नकुल, नोआखली में, जय हिन्द, पाथेय, मृण्मयी, आत्मोसर्गनिबंध संग्रह : झूठ-सच
काकीसियारामशरण गुप्तजन्म : 4 सितम्बर 1895, चिरगांव, झाँसी (उत्तर प्रदेश)भाषा : हिंदीविधाएँ : कविता, उपन्यास, कहानी, नाटक, निबंधउपन्यास : अंतिम आकांक्षा, नारी और गोदकहानी संग्रह : मानुषीकविता संग्रह : अनुरूपा, अमृत पुत्रखंड काव्य : अनाथ, आर्द्रा, विषाद, दूर्वा दल, बापू, सुनंदा, गोपिकानाटक : पुण्य पर्व, उन्मुक्त गीतअनुवाद : ईशोपनिषद, धम्मपद, भगवत गीता (सभी छंद में)काव्य ग्रन्थ : दैनिकी, नकुल, नोआखली में, जय हिन्द, पाथेय, मृण्मयी, आत्मोसर्गनिबंध संग्रह : झूठ-सचचिरगाँव (झाँसी) में बाल्यावस्था बीतने के कारण बुंदेलखंड की वीरता और प्रकृति सुषमा के प्रति आपका प्रेम स्वभावगत था। घर के वैष्णव संस्कारों और गांधीवाद से गुप्त जी का व्यक्तित्व विकसित हुआ। गुप्त जी स्वयं शिक्षित कवि थे। मैथिलीशरण गुप्त की काव्यकला और उनका युगबोध सियारामशरण ने यथावत् अपनाया था। अत: उनके सभी काव्य द्विवेदी युगीन अभिधावादी कलारूप पर ही आधारित हैं। दोनों गुप्त बंधुओं ने हिंदी के नवीन आंदोलन छायावाद से प्रभावित होकर भी अपना इतिवृत्तात्मक अभिघावादी काव्य रूप सुरक्षित रखा है। विचार की दृष्टि से भी सियारामशरण जी ज्येष्ठ बंधु के सदृश गांधीवाद की परदु:खकातरता, राष्ट्रप्रेम, विश्वप्रेम, विश्व शांति, हृदय परिवर्तनवाद, सत्य और अहिंसा से आजीवन प्रभावित रहे। उनके काव्य वस्तुत: गांधीवादी निष्टा के साक्षात्कारक पद्यबद्ध प्रयत्न हैं।
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