बुद्ध ने किस गुण के बल पर संसार के प्राणियों को झुकने पर विवश किया ? Manushyatha Hindi Grade 10
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बुद्धचरितम्, संस्कृत का महाकाव्य है। इसके रचयिता अश्वघोष हैं। इसकी रचनाकाल दूसरी शताब्दी है। इसमें गौतम बुद्ध का जीवनचरित वर्णित है। इस महाकाव्य का आरम्भ बुद्ध के गर्भाधान से तथा इसकी परिणति बुद्धत्व-प्राप्ति में होती है। यह महाकव्य भगवान बुद्ध के संघर्षमय सफल जीवन का ज्वलन्त, उज्ज्वल तथा मूर्त चित्रपट है। इसकी कथा का रूप-विन्यास वाल्मीकिकृत रामायण से मिलता-जुलता है।
सन् 420 में धर्मरक्षा ने इसका चीनी भाषा में अनुवाद किया तथा ७वीं एवं ८वीं शती में इसका अत्यन्त शुद्ध तिब्बती अनुवाद किया गया। दुर्भाग्यवश यह महाकाव्य मूल रूप में अपूर्ण ही उपलब्ध है। 28 सर्गों में विरचित इस महाकाव्य के द्वितीय से लेकर त्रयोदश सर्ग तक तथा प्रथम एवं चतुर्दश सर्ग के कुछ अंश ही मिलते हैं। इस महाकाव्य के शेष सर्ग संस्कृत में उपलब्ध नहीं है। इस महाकाव्य के पूरे 28 सर्गों का चीनी तथा तिब्बती अनुवाद अवश्य उपलब्ध है। इसका चीनी भाषा में अनुवाद पांचवीं शताब्दी के प्रारम्भ में 'धर्मरक्ष', 'धर्मक्षेत्र' अथवा 'धर्माक्षर' नामक किसी भारतीय विद्वान ने ही किया था तथा तिब्बती अनुवाद ९वीं शताब्दी से पूर्ववर्ती नहीं है।