बादल को घिरते घिरते देखा है कविता के प्राकृतिक चित्रण का अचार बिंदुओं में वर्णन कीजिए
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कविता में वर्षा ऋतु में पर्वत शिखरों पर बादलों को गिरने की शोभा का वर्णन है और कणो को मोती के समान बताया गया है। उसका कमल के फूलों पर गिरना बहुत ही मनोहारी चित्र उपस्थित कर देता है। हिमालय पर स्थित झीलों में हंसों के तैरने का दृश्य भी नयनाभिराम है। वसंत ऋतु के प्रातः कालीन सूर्य की किरणें अनोखी छटा उपस्थित करती है। कस्तूरी मृग को अपनी नाभि से उठने वाली सुगंध के पीछे पागल होते देखा जा सकता ह
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