बादल को घिरते देखा है कविता के प्राकृतिक चित्रण का आप 4 बिंदुओं में वर्णन करेंगे
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कविता का परिचय – नागार्जुन द्वारा रचित बादलों को घिरते देखा कविता में प्रकृति का चित्रण किया गया है। यह कविता नागार्जुन की कविता संग्रह ‘युगधारा’ से ली गई है। वर्षा ऋतु के आने पर संपूर्ण प्रकृति में जो परिवर्तन आता है , उसका कवि ने छः दृश्य द्वारा वर्णन किया है। इसी प्रकृति से संबंधित मनोभावों को विविध बिंबो के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। वह छः दृश्य इस प्रकार हैं –
पावस की उमस को शांत करते हुए मानसरोवर में तैरते हंस चकवा – चकवी का प्रणय मिलन।
हिमालय की गोद में सुवास को खोजते हिरण।
हिमालय की चोटियों पर बादल का गरजता तूफान
मनोरम उंगलियों को बंसी पर फेरते किन्नर किन्नरियां
यह सभी सजीव चित्र प्रस्तुत किए हैं जो आकर्षक मनोरम तथा हृदयस्पर्शी होने के साथ-साथ कविता को मनोरंजक और रोचक बनाते हैं। यदि देखा जाए तो ऐसा लगता है की कवि ने कालिदास की परंपरा को आगे बढ़ाया है।उपन्यास – बलचनामा , जमुनिया का बाबा , कुंभी पाक , उग्रतारा , रविनाथ की चाची , वरुण के बेटे। आदि
सम्मान – विलक्षण प्रतिभा के धनी नागार्जुन को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
साहित्य अकादमी पुरस्कार
भारत भारती पुरस्कार
मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार
राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार
हिंदी अकादमी दिल्ली का शिखर सम्मान।
काव्यगत विशेषताएं – नागार्जुन प्रगतिशील काव्यधारा के साहित्यकार रहे हैं।
कविताओं में बांग्ला , संस्कृत , अरबी , फारसी तथा मैथिली आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
भाषा सहज सरल व चित्रात्मक है।
काव्य में खड़ी बोली का भी प्रयोग है।
तत्सम – तद्भव शब्दों का प्रयोग मिलता है।
काव्य में धारदार व्यंग्य का वर्णन किया गया है