बादलों के ना बरसने से लोगों तथा धरती की क्या दशा हो रही थी
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बादलों के न बरसने से लोगों तथा धरती की क्या दशा हो रही है :
बादलों के न बरसने से लोगों तथा धरती की दशा बहुत खराब हो रही थी | कवि कविता में बादलों को बरसने के लिए कहता है |
व्याख्या :
धरती गर्मी से तप रही थी | चारों तरफ़ पानी के लिए तरस रहे थे | पेड़-पौधे सुख रहे थे | धरती में रहने वाला हर जीव-जंतु पानी के बिना तड़प रहा था | सभी प्राणी गर्मी के कारण उदास हो रहे थे | सभी की हालत बहुत खराब थी |
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