बादल और पेड के बीच हई बातचीत को 40 -50
शबो मेसंवाद के रप लिखए
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बादल और वृक्ष के बीच संवाद
वृक्ष – स्वागत है मित्र तुम्हारा ! तुम्हारी प्रतीक्षा में देखो मैं सूखकर काँटा हो गया हूँ।
बादल – वाह ! बातें बनाना खूब आता है तुम्हें ! इस बार आने में देर हो गई, क्षमा चाहता हूँ।
वृक्ष – क्षमा तुम्हें नहीं, इंसान को मॉगनी चाहिए। जिसने प्रकृति के चक्र को तहस-नहस कर डाला है। विकास के नाम पर वातावरण को गरम कर दिया है। तुम बरस कर हमें हरा-भरा रख सको- यह दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा है।बादल – ठीक कहा तुमने ! जिस तरह अंधाधुंध वे तुम्हें काट रहे हैं, इससे उनका स्वार्थ और लालच ही नहीं, विवेकहीनता भी उजागर होती है। जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं।
वृक्ष – एक दिन धड़ाम से गिर पड़ेंगे ! न हम रहेंगे, न तुम बरसोगे। तरस जाएँगे वे, साँस लेना तक दूभर हो जाएगा।
वृक्ष – बादल – काश! मानव हमारे माध्यम से, प्रकृति उन्हें जो संदेश देना चाहती है उसे समझ सकें।
वृक्ष – काश! वह समझ पाए कि हम और तुम दोनों ही उसके हितरक्षक मित्र हैं।