बादलों पर कविता in hindi
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जब हम वापस आयेंगे
तो पहचाने न जायेंगे
हो सकता है हम लौटें पक्षी की तरह और तुम्हारी बगिया के किसी नीम पर बसेरा करें फिर जब तुम्हारे बरामदे के पंखे के ऊपर घोंसला बनायें
तो तुम्हीं हमें बार-बार बरजोया
फिर थोड़ी सी बारिश के बाद तुम्हारे घर के सामने छा गयी हरियाली की तरह वापस आयें हम जिससे राहत और सुख मिलेगा तुम्हें पर तुम जान नहीं पाओगे कि उस हरियाली में हम छिटके हुए हैं।
हो सकता है हम आयें
पलाश के पेड़ पर नयी छाल की तरह जिसे फूलों की रक्तिम चकाचौंध में तुम लक्ष्य भी नहीं कर पाओगे
हालाँकि घर, बगिया, पक्षी-चिड़िया, हरियाली फूल-पेड़ वहीं रहेंगे हमारी पहचान हमेशा के लिए गड्डमड्ड कर जायेगा
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हम रूप बदलकर आयेंगे तुम बिना रूप बदले भी बदल जाओगे
वह अन्त
जिसके बाद हम वापस आयेंगे और पहचाने न जायेंगे
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