बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी क्यों
खत्म होने लगी?
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बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही मियाँ नसीरुद्दीन की दिलचस्पी लेखिका की बातों में खत्म होने लगी क्योंकि उन्हें किसी खास बादशाह का नाम मालूम ही न था। वे जो बातें बता रहे थे वे बस सुनी-सुनाई थीं।
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बादशाह के नाम का प्रसंग आते ही लेखिका की बातों में मियाँ नसीरूद्दीन की दिलचस्पी क्यों कम होने लगी क्योंकि मियाँ ने सारी बातें बुजुर्गों के मुँह से सुनी थी| सच्चाई ये थी कि उन्होंने कभी किसी बादशाह के यहाँ काम किया ही नहीं था| तभी तो वो लेखिका के पूछने पर बता नहीं सके कि उन्होंने बादशाह के यहाँ कौन-सी पकवान बनाई थी|
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