Hindi, asked by mohanaik460, 7 days ago

बादशाह मौलाना से नाराज़ क्यों हुए ?

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Answered by dhirajchoudhary2100
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Answer:

बात ग़ालिब से शुरू करते हैं. उनका मशहूर शे’र और उससे जुड़ा किस्सा तो सबको याद ही होगा, जिसमें उन्होंने बहादुर शाह ज़फर के दरबारी शायर शेख इब्राहिम जौक़ को पहले ‘शाह का मुसाहिब’ होने का ताना मारा था और फिर बात बदल कर हीरो बन गए थे. बादशाह के दरबार में पेशी होने पर ये शेर लिख के बच भी गए थे और बादशाह की निगाह में चढ़ भी गए थे.

“बना है शाह का मुसाहिब फिरे है इतराता,

वगरना शहर में ‘ग़ालिब’ की आबरू क्या है”

शाह का मुसाहिब मतलब हाकिम का, गद्दीनशीनों का दरबारी आदमी. ज़्यादा ही तल्ख़ लहजे में कहा जाए तो सत्ताधीशों का चमचा. अब मिलिए एक ऐसे शायर से जिसने शाह के मुसाहिब पर ही कुछ ऐसा लिखा जो ग़ालिब की बात पर भी भारी पड़ गया. शायर का नाम है ‘हबीब जालिब’ जो कहते हैं,

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