बादशाह सलामत हमारे राज्य में काफी बुद्धि है
7hindi
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एक बार की बात है अकबर काफी देर भ्रमण के बाद थक चुके थे। उनका विश्राम एक घने वृक्ष के नीचे हुआ , बीरबल भी वहां मौजूद थे। अकबर के हाथ में एक छड़ी थी जो बेहद ही मूल्यवान थी। अकबर ने जमीन पर एक रेखा खींची। मजाक बनाने के उद्देश्य से अकबर ने बीरबल से कहा –
बीरबल ! तुम बिना मिटाएं इस रेखा को छोटी करके दिखाओ।
बीरबल बुद्धि के धनी थे।उन्होंने पास रखी हुई एक लकड़ी को उठाया और अकबर द्वारा खींची गई रेखा के समानांतर एक बड़ी रेखा खींच डाली। अकबर को समझ में आ गया था , उसके द्वारा खींची गई रेखा , बिना मिटाए छोटी हो गई थी।
बीरबल ने जो रेखा खींची थी , वह अकबर द्वारा खींची गई रेखा से काफी बड़ी थी।
अकबर , बीरबल की सराहना करते हुए फिर बीरबल के बुद्धि की परीक्षा की योजना बनाने लगे।
दूसरी कहानी -> बीरबल के कंधे दो गधे का बोझ
अकबर सवेरे नित्य – प्रतिदिन सैर करने निकलता था। आज उसके साथ उसका शहजादा और मंत्री बीरबल भी था।
आज का मौसम बेहद ही खुशनुमा था।
हवा में ताजगी थी , इसलिए आज भ्रमण का आनंद ही कुछ अलग था।
इस आनंद में अकबर अपने महल से काफी दूर निकल गया था। बात – बात में अकबर बीरबल से सवाल करता , बीरबल के हाजिर जवाब से अकबर शब्द हीन हो जाता।
यह केवल आज की बात नहीं है , हमेशा ही इसी प्रकार दोनों के बीच सवाल-जवाब का सिलसिला चला करता था।
हवा की ताजगी को महसूस करते-करते अकबर महल से लगभग दस मील दूर चले गए थे।
धीरे-धीरे धूप तीव्र हो रही थी।
राजा ने अपना पोशाक उतारकर बीरबल के कंधे पर रख दिया। बीरबल , राजा की पोशाक अपने कंधे पर लिया पीछे-पीछे चल रहा था। तभी शहजादे को भी गर्मी महसूस हुई अपना भारी-भरकम पोशाक उतारकर बीरबल को थमा दिया।
बीरबल भी इंसान था , उसे भी गर्मी लग रही थी , किंतु वह अपने पोशाक उतार कर किसको देता ?
गर्मी के मारे बीरबल की भी हालत खराब हो रही थी ,