Hindi, asked by narayansarawgi23, 11 months ago

बु
दधि क्या पहनती है​

Answers

Answered by AwesomeSoul47
3

Answer:

first you write in correct form kuch nho

Answered by hayzelfountes40
1

Explanation:

आप किसका दिया खाते है किसका दिया पहनते है ।

एक बादशाह और शहज़ादी का

एक बादशाह की सात बेटियां थी, एक दिन वो अपनी सभी बेटियों को बुलाता है और उनसे एक सवाल पुछता है के बताओ तुम किसका दिया हुआ खाती हो.? और किसका दिया पहनती हो, एक एक करके सब ने कहा के अब्बा हुज़ुर आपका दिया खाती हुं और आपका दिया ही पहनती हुं मगर सबसे छोटी वाली ने कहा के अब्बा हुज़ुर अल्लाह का दिया खाती हुं और नसीब का पहनती हुं

ये सुन कर बादशाह को ग़ुस्सा आ गया कहने लगा ऐ कम्बख़्त तुने मेरी नाशुक्री की है तुझे सज़ा ज़रुर मिलेगी

बादशाह ने अपने सिपाहियों को हुकुम दिया जाओ इसे जंगल में छोड आओ..मैं भी देखता हुं ये मेरे बेग़ैर कैसे अल्लाह का दिया खाती है और कैसे अपने नसीब का पहनती है

शहज़ादी से तमाम ज़ेवरात वापिस ले लिये गये ओर एक पुराना सा कपडा पहना कर जंगल में छोड दिया गया

लेकिन शहज़ादी के चेहरे पर न कोई डर था न किसी तरह का ख़ौफ, उसे अपने रब पर पुरा भरोसा था, जो दाना मेरे नसीब में लिखा हुआ है वो मुझे मिलकर ही रहेगा

शहज़ादी जंगल को देखने लगी चारों तरफ दरख़त ही दरख़त थे शाम होने वाली थी, शहज़ादी ने सोंचा क्युं न कुछ लकडियां जमा कर लुं, रात को वही लकडियां जलाउंगी ताकी कोई जानवर पास न आये और रात भी गुज़र जाएगी

बुढा आदमी शहज़ादी से पुछता है बेटी तुम कौन हो और इस घने जंगल में क्या कर रही हो.? तब शहज़ादी उसे पुरा वाक़या सुना देती है के वो कैसे यहां तक पहुंची

बुढा आदमी उसे झोंपडी में ही रहने के लिये बोलता है और कहता बेटी मैं शहर में काम करता हुं सुबह शहर चला जाउंगा फिर एक हफ्ते बाद आउंगा तब तक तुम आराम से यहीं रुको यहां खाने पीने का सारा सामान मौजुद है तुम्हें किसी चीज़ की तकलीफ नही होगी

सुबह होते ही वो बुढा आदमी शहर के लिये निकल पडा इधर शहज़ादी झोंपडी का अच्छे से साफ सफाई करती बकरी का दुध निकालती है आधा दुध अपने लिये रखती है और आधा झोंपडी के बाहर दरवाज़े पर एक बरतन में दुध रख देती है ताकी कोई भुखा प्यासा जानवर इधर से गुज़रे तो पी सके

सुबह उठ कर बाहर आई तो देखा के दुध का बरतन ख़ाली है और पास ही एक क़ीमती मोती पडा है जो देखने में ही नायाब लग रहा था साथ ही सांप के गुज़रने के निशान भी थे

शहज़ादी ने बचपन में ही सुन रखा था के जब कोई नायाब सांप बुहत ज़्यादा ख़ुश होता है तो वो क़िमती मोती उगलता है जिसकी क़ीमत हिरे जवाहरात से भी कहीं ज़्यादा होती है

शहज़ादी ने मोती उठा कर अपने पास रख लिया और दिल में सोंचने लगी शायद सांप भुखा था इस लिये दुध पी कर ख़ुश हुआ होगा

शाम में शहज़ादी फिर एक बरतन में दुध रख देती है अगली सुबह फिर उसे वही क़ीमती मोती मिलता है इसी तरह सात दिन गुज़र गये अब उसके पास सात क़िमती मोती जमा हो गये थे

आठवें दिन वो बुढा आदमी शहर से वापस आता है तो शहज़ादी उसे ये मोती दिखाती है और सारा वाक़या सुना देती है, फिर शहज़ादी उस बुढे आदमी को तीन मोतियां देती और कहती के शहर जा कर इन तीनों मोतियों के बेच दो और आते वक़त महल बनाने वाले मज़दुर को लेते आना

बाक़ी बचे चार मोती शहज़ादी अपने गले मे माला बना कर डाल लेती है कुछ ही महिनों में जंगल के बिचो बीच एक आलिशान महल तैय्यार हो जाता है. जिसमे शहज़ादी और वो बुढा आदमी रहने लगता है

एक ऐसा महल जिसमे दुनिया के सब ऐश आराम का सामान मौजुद था बेशुमार नेमते थी नोकर चाकर सब कुछ था, शहज़ादी जंगल में ही एक लकडी काटने की फैक्टरी लगा देती है जिससे हज़ारों मजदुर को रोज़ी रोटी मिलने लगी

देखते ही देखते जंगल अब शहर बन चुका था ये महल ऐसा ख़ुबसुरत था के दुर दुर तक मशहुर हो गया, लोग इस महल की और शहज़ादी की तारिफें करते नही थकते, के शहज़ादी बहुत नरम दिल है

उडते उडते ये ख़बर बादशाह तक भी पहुंची, तो बादशाह के दिल में भी मिलने का शौक़ पैदा हुआ के देखुं तो सही कौन से मुल्क की शहज़ादी है जिसकी इतनी तारीफ हो रही है

बादशाह ने शहज़ादी के पास मुलाक़ात का पैग़ाम भेजा, जब ये पैग़ाम शहज़ादी के पास पहुंचा तो शहज़ादी ने मुलाक़ात की एक शर्त रखी के बादशाह अपनी सभी बेटियों को लेकर हमारे महल में आएंगे,

बादशाह ने ये शर्त मंज़ुर करते हुए अपनी सभी बेटियों को लेकर शहज़ादी के महल पहुंच जाता है

शहज़ादी चेहरे पर नक़ाब डाल कर उन सब से मिलती है उनके लिये सात रंग के खाने पेश करती है शहज़ादी का लिबास हीरे ज़ेवरात से ढका हुआ था

शहज़ादी की शान शौकत और महल की ख़ुबसुरती देख बादशाह भी हैरान हो गया क्युंकी ऐसी शान शौकत तो बादशाह के भी महल में नही थी,

बादशाह ने शहज़ादी को परदे में देखा तो कहा के तुम मेरी बेटी की तरह हो फिर मुझसे परदा क्युं कर रही हो, तुम्हारे ही कहने पर मैं अपनी बेटियों को भी साथ लाया हुं बादशाह के बहुत इसरार करने पर शहज़ादी ने कहा के ठीक है मैं तैय्यार हो कर आती हुं

बादशाह की सभी बेटिया आपस में सरगोशी करने लगती हैं इतनी तो तैय्यार है कितने मंहगे ज़ेवरात पहने हुए है अब और कितना तैय्यार हो कर आएगी, इतने में दुर से पुराने कपडों में कोई आती दिखी बादशाह ने ग़ौर से देखा तो हैरान रह गया… ये तो उसकी अपनी ही बेटी है जिसे जंगल में छोड आया था.. तु अभी तक ज़िंदा है.?मैं ने तो सोंचा था के कोई जंगली जानवर तुझे खा गया होगा, चलो कई बात नही अपनी शहज़ादी को बुलाओ मैं तुम्हें यहां से आज़ाद करवा कर ले जाउंगा

यह सुनते ही शहज़ादी बोलती है नही अब्बा हुज़ुर मैं ही वो शहज़ादी हुं जिस्से आप मिलने आयें हैं, मैं न कहती थी के अल्लाह का दिया खाती हुं और अपने नसीब का पहनती हुं आज मेरे पास आपसे भी कई गुना ज़्यादा दौलत है

फिर शहज़ादी ने यहां तक पहुंचने का सारा हाल कह सुनाया, यह सुनते ही बाक़ी शहज़ादिया भी रशक करने लगती हैं और सोंचती हैं के काश हमने तब यही कहा होता के अल्लाह का दिया खाती हुं और अपने नसीब का पहनती हुं!।

धन्यवाद  plz do follow me and  rate my ans and mark me brainlist if u like

Similar questions