Hindi, asked by tpintu708, 8 months ago

बंदउ गुरु पद पदुम परागा किसका उदाहरण है​

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Answered by aravgupta1008
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Explanation:

बंदउ गुरु पद-पदुम परागा, सुरुचि सुबास सरस अनुरागा। रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी की इन चौपाइयों की भावनाओं से ओतप्रोत होकर तीनों शिक्षक संगठनों ने बुधवार को शिक्षक दिवस पर अलग अलग कार्यक्रम आयोजित कर गुरुजनों का सम्मान किया। भावपूर्ण सम्मान से अभिभूत इन सेवानिवृत्त शिक्षकों की आंखें भी गीली हो गईं। जूनियर हाईस्कू ल शिक्षक संघ, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ व प्राथमिक शिक्षक संघ जैसे जिले के तीनों प्रमुख संगठनों ने सेवानिवृत्त हुए 163 शिक्षकों को शाल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित ही नहीं किया बल्कि अफसरों, शिक्षकों व नेताओं ने उन गुरुओं के श्री चरणों में अपना मस्तक नवाकर उन्हें शत शत प्रणाम किया तो उन गुरुजनों की आंखें भी सम्मान पाकर कुछ पलों के लिए गीली हो गईं।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वरुण कुमार ने कहा कि वे गुरु ही हैं जो जाति व्यवस्था से ऊपर उठकर अपने छात्रों को संस्कार युक्त शिक्षा देते हैं। इसीलिए हर किसी से सम्मान पाते हैं। वह बुधवार को राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के शिक्षक दिवस सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

बीएसए वरुण कुमार ने कहा कि हर बच्चे को बेहतर शिक्षा या तो मां देती है या फिर गुरु। मां व गुरु दोनों का जो दिली स्नेह बच्चे से होता है वह और कहीं भी किसी को नहीं हो सकता। प्रत्येक छात्र को शिक्षारूपी अमूल्य निधि गुरु से ही मिलती है।

इस मौके पर उन्होंने सेवानिवृत्त शिक्षक दर्शन सिंह, रामप्रकाश याज्ञिक, गिरजा शंकर विश्वकर्मा, क्षमाधर प्रजापति, देवीसिंह, कमला देवी, सीताराम सोनी सहित 40 से अधिक शिक्षकों को शाल, नारियल, प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। जिला पंचायत सदस्य कप्तान सिंह, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के मंडल अध्यक्ष प्रकाश नारायण पाठक, शिक्षक नेता योगेश चंद्र द्विवेदी, अरविंद नगाइच, अशोक त्रिपाठी, नारायण सिंह, ओमप्रकाश चौहान, संजय सिंघल, अरविंद यादव ने भी गुरुजनों की महिमा का बखान किया।

एडीएम लोकपाल सिंह ने कहा कि गुरु द्वारा दी गई शिक्षा का ऋण हम कभी नहीं चुका सकते। वह आज महान शिक्षाविद् सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णनन के जन्मदिन पर प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा आयोजित शिक्षक दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि मैं जब बचपन में स्कूल जाता था तो डर लगता था लेकिन गुरुजनों ने ऐसी संस्कारयुक्त शिक्षा दी जो इस लायक बन सका। गुरुओं का आशीर्वाद हमेशा ही फलीभूत हुआ है। इस मौके पर एडीएम ने सेवानिवृत्त शिक्षक कर्णसिंह, अवधकिशोर, प्रभा देवी, शफीउल्ला, माया निगम, रामस्वरूप, शारदा प्रसाद, रामकृपाल, देवी सिंह, रनसिंह, चतुर सिंह, देवीसहाय सहित पचास से अधिक सेवानिवृत्त शिक्षकों को स्मृति चिन्ह, शाल, प्रशसिस्त पत्र, गीता देकर सम्मानित किया।

बीएसए वरुण कुमार ने शिक्षकों को विभाग के देयकों से संबंधित चेक दीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता शिक्षक नेता गिरेंद्र सिंह कुशवाहा ने की। इस मौके पर डायट प्राचार्य ममल देवी जैन, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष महेंद्र सिंह भाटिया, मंडल मंत्री, रामराजा द्विवेदी, जगत निरंजन, नरेश निरंजन, गंधर्व सिंह, अनुराग मिश्रा, हरीसिंह, जितेंद्र सिंह, दिनेश निरंजन, जितेंद्र सिंह, दिनेश निरंजन, रामप्रसाद श्रीवास्तव, मान सिंह राजपूत, अंगद सिंह, आरपी रामसखा आदि मौजूद रहे।

सांसद घनश्याम अनुरागी ने कहा कि शिक्षा के बिना सामाजिक, राजनैतिक विकास नहीं हो सकता। आज देश तकनीकी क्षेत्र में जिस तेजी से विकास कर रहा है वह आदरणीय, गुरुजनों की ही देन है। वह बुधवार को मणींद्रालय सभागार में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के शिक्षक सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि शिक्षकों द्वारा दी गई बेहतर शिक्षा की बदौलत ही आज देश हर क्षेत्र में तरक्की कर रहा है। शिक्षकों ने बेहतर शिक्षा न दी होती तो आज कहां से कलक्टर आते। हम बिना शिक्षा के तकनीकी क्षेत्र में कैसे तरक्की करते। बीएसए वरुण कुमार ने शिक्षकों की सराहना करते हुए कहा कि वह शिक्षा विभाग के मुखिया होने के बाद भी शिक्षकों का सम्मान करते हैं।

इस मौके पर मुख्य अतिथि सांसद घनश्याम अनुरागी व सदर विधायक दयाशंकर वर्मा, जिलाध्यक्ष सोहराब खान, जिला पंचायत सदस्य लाखन सिंह, एसडीएम कोंच मो. गफ्फार ने सेवानिवृत्त शिक्षक उमाशंकर, कढ़ोरे लाल, जानकी शरण, सूरज प्रसाद सहित 72 शिक्षकों को शाल, प्रशस्ति पत्र, नारियल, गीता देकर सम्मानित किया। बीएसए वरुण कुमार ने उनके फंड, पेंशन से जुड़ी चेकें भेंट कीं। इस मौके पर जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रामबालक व्यास, महामंत्री जहीरुद्दीन मिर्जा, लक्ष्मीकांत रावत, अभिनव दीक्षित, सुंदर लाल यादव, नरेंद्र सिंह राजावत, सत्यनारायण, तेजबहादुर, उप शिक्षाअधिकारी जीलाल, गोविंद दास, चंद्रपाल रुरा, महेश द्विवेदी सर सहित कई लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक डॉ. ब्रजनारायण द्विवेदी ने की।

जिले के विद्यालयों में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया गया। बच्चों ने गुरुजनों के चरणों में शीश नवाया। उन्हें उपहार भी दिए। लोगों ने गुरु की महिमा का बखान किया। इस दौरान बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। सम्मान से खुश गुरुजनों ने बच्चों को ढेरों आशीर्वाद दिए।

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