बांध बनाने से क्या हानि होती है
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Explanation:
गाद- बाँध निर्माण से एक तालाब बन जाता है. पीछे से आने वाली बालू तालाब में जमा हो जाती है जिससे बाँध के नीचे अगल बगल क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बालू नहीं मिल पाती है.
पानी की गुणवत्ता – बहाव बंद होने से पानी सड़ने लगता है उसकी ताजगी ख़त्म हो जाती है. इस प्रभाव का प्रत्यक्ष उधाहरण उत्तराखंड के श्रीनगर में बनें बाँध के नीचे पानी सड़ने लगा है जिस कारण प्रसिद्ध किल्किलेस्वर मन्दिर में शिवलिंग में श्रद्धालु शुद्ध गंगा जल नहीं चढ़ा पा रहे हैं. बाँध के नीचे श्रीकोट के लोगों को गंदा पानी इस्तेमाल करना पड़ रहा है जिस से पीलिया जैसी बिमारी बढ़ रही है.
मीथेन उत्सर्जन– बाँध के जलाशयों में पत्ते, टहनियां और जानवरों की लाशें नीचे जमती हैं और सड़ने लगती है. तालाब के नीचे इन्हें ऑक्सीजन नहीं मिलती है जिस कारण मीथेन गैस बनती है जो कार्बन डाई ऑक्साइड से ज्यादा ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है.
वनों का डूबना–वन तालाब में डूब जाते हैं जिससे इन वनों से मिलने वाली चरान और चुगान से लोग वंचित हो जाते हैं.
जैव विविधता–बांधों के कारण पानी रुकने से मछलियों की कई प्रजाति समाप्त हो जाती है जिससे जलीय जैव विविधता को नुकसान होता है.
जलाशयों से प्रेरित भूस्खलन– बांधो द्वारा सुरंग बनाइ जाती हैं. इन सुरंगों को बनाने के लिये पहाड़ियों में ब्लास्टिंग की जाती है जो पहाड़ियों को अस्थिर कर देता है. जिस कारण भूस्खलन की घटनाएँ बढ़ जाती हैं.
मलेरिया के कीटाणुओं की वृद्धि – बांधो के जलाशयों में रुके पानी में मलेरिया की कीटाणु पनपते हैं. जो जलाशयों के नजदीकी क्षेत्र में रह रहे लोगों की बीमारियाँ बढ़ाते हैं. आप इस रिपोर्ट में देख सकते हैं.
मुक्त बहते पानी के सौन्दर्य की कमी – दुनिया के लोग गंगा के दर्शन करने के लिए आते हैं. बहती गंगा के स्थान पर इन्हें तालाब दिखते हैं जिससे इन्हें ख़ुशी से वंचित होना पड़ता है.