- बांध क्या है? बांध के लाभ और हानियों का वर्णन करो।
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बड़े बांधों के लाभ
जल, धरती पर सभी के जीवन के सम्पोषण के लिए अनिवार्य है। यह समस्त संसार में समान रूप में वितरित नहीं होता है तथा इसकी उपलब्धता वर्ष के दौरान एक जैसे स्थानों पर एक समान भी नहीं होती। जबकि विश्व के एक हिस्से में पानी का अभाव है तथा वह सूखाग्रस्त है तो विश्व के दूसरे हिस्से में अधिक जल होने के कारण उपलब्ध संसाधनों का अनुकूलतम प्रबन्ध करने में चुनौतीपूर्ण कार्यों का सामना करते हैं। नि:सन्देह नदियां प्रकृति का एक महान वरदान है तथा विभिन्न सभ्यताओं के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। फिर भी कई अवसरों पर नदियां, बाढ़ के समय लोगों के जीवन एवं सम्पत्ति के साथ विनाशकारी खेल खेलती हैं। अत: नदियों के जल का कुशल प्रबन्ध करना एक महत्वपूर्ण विचाराधीन मुद्दा हैं। नदी जल संसाधनों के कुशल प्रबन्धन के लिए यह आवश्यक है कि विभिन्न नदी किनारों (बेसिनों), जो गहन सर्वेक्षण करने के उपरान्त तकनीकी रूप से सम्भावन तथा आर्थिक रूप से व्यवहार्य पाई गई हैं के लिए विशिष्ट योजनाएं बनाई जानी चाहिए। सभ्यता का विकास होने के बाद से मानव बरसाती अवधि के दौरान नदी के उपलब्ध अतिरिक्त जल को स्टोर करने तथा शुष्क अवधि के दौरान उसी जल का उपयोग करने के लिए बांधों तथा जलाशयों का निर्माण करता रहा हैं। बांध और जलाशय, त्वरित सामाजिक – आर्थिक विकास के लिए नदी जलों का सदुपयोग करना तथा सूखा एवं बाढ़ से प्रभावित विश्व की वृहत जनसंख्या के कष्टों को कम करने के लिए दोहरी भूमिका निभा रहे हैं। बांध और जलाशय निम्नलिखित मानवीय मूलभूल आवश्यकताओं की पूर्ति करने में उल्लेखनीय योगदान देते हैं :पेयजल और औद्योगिक उपयोग हेतु जल
सिंचाई
बाढ़ नियंत्रण
जल-विद्युत उत्पादन
इनलैंड नेवीगेशन (अन्तर्देशीय नौपरिवहन)
मनोरंजन
पेयजल और औद्योगिक उपयोग हेतु जल:-
हाईड्रोलोजिकल साईकल में अधिक विभिन्नताओं के कारण बरसाती अवधि के दौरान नदी के अतिरिक्त जल को स्टोर (संचयन) करने तथा जब जल का अभाव होता है तो शुष्क अवधि के दौरान, उसी जल का उपयोग करने के लिए बांध एवं जलाशय बनाए जाने अपेक्षित हैं।
उचित रूप से अभिकल्पित तथा सुनिर्मित किए गए बांध लोगों की पेयजल की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण निभाते हैं।
औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु भी जलाशयों में संचित जल का अत्य अधिक प्रयोग किया जाता है।
जलाशयों से जल का नियमित बहाव शुष्क अवधि के दौरान जल से कम अन्तर्वाह के कारण नदी में घुलनशील हानिकारक पदार्थों को कम करने में मदद करता है तथा सुरक्षित सीमाओं के भीतर जल की गुणवत्ता को बनाए रखता है।