Hindi, asked by kittu1001spj, 8 months ago

बोध और अभ्यास
5.
कविता के साथ
1.
कवि किसके बिना जगत् में यह जन्म व्यर्थ मानता है ?
2.
वाणी कब विष के समान हो जाती है ?
3.
नाम-कीर्तन के आगे कवि किन कर्मों की व्यर्थता सिद्ध करता है ?
4. प्रथम पद के आधार पर बताएँ कि कवि ने अपने युग में धर्म-साधना के कैसे-कैसे रूप देखे थे ?
हरिरस से कवि का अभिप्राय क्या है ?
.
कवि की दृष्टि में ब्रह्म का निवास कहाँ है ?
गुरु की कृपा से किस युक्ति की पहचान हो पाती है ?
व्याख्या करें:
(क) राम नाम बिनु अरुझि मरै ।
(ख) कंचन माटी जाने । ।
(ग)
हरष सोक तें रहै नियारो, नाहि मान अपमाना ।
घ) नानक लीन भयो गोविंद सो, ज्यों पानी संग पानी ।
(ग)​

Answers

Answered by LucanBiswas17
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Answer:

1. कवि राम-नाम के बिना जगत में यह जन्म व्यर्थ मानता है।

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