बाढ़ के प्रकोप पर दृश्य लेखन
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बाढ़ के प्रकोप पर दृश्य लेखन
जल हमारे लिए जीवन का परिचायक है और जल के बिना जीवन संभव नहीं। ये जीवन के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन कभी-कभी यह जल ही हमारे लिए मुसीबत और आफत बनकर आ जाता है। जब यह जल बाढ़ के रूप में तबाही मचाता है तब इस जल के रौद्र रूप के भी दर्शन होते हैं।
अभी पिछले दिनों में अपने गांव गया था। मेरा गांव एक नदी के किनारे बसा हुआ है। उन दिनों बारिश का मौसम चल रहा था और नदी में बाढ़ आई हुई थी। इस वजह से पूरा गांव तबाह हो गया। लगातार 10 दिनों से वर्षा हो रही थी और नदी लबालब बह रही थी। उसका पानी अपनी सीमाएं तोड़कर गांव में प्रवेश कर गया था। चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। लोग अपने घर-बार को छोड़कर पास की ऊंची पहाड़ी पर चले गए थे। लेकिन उनका कीमती जरूरी सामान सब पानी में नष्ट हो गया था। खेत की सारी फसलें चौपट हो गई थीं और गांव के सारे लोग ऊंची पहाड़ी पर सरकार द्वारा सहायता की आस में पड़े हुए थे। सरकार के हेलीकॉप्टर वहां पर खाने की सामग्री गिरा रहे थे, जिससे उन लोगों को जीवन रक्षा हो।
उस पहाड़ी पर गांव के लोगों ने कुछ टेंट बना लिये थे। जिस टेंट में मुश्किल से दस लोग रह सकते हों वहां पच्चीस लोग रह रहे थे। क्योंकि इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं था। वर्षा से भी बचना था और बाढ़ की तबाही से भी। धीरे-धीरे सरकारी सहायता में बढ़ोतरी शुरू हो गई और पहाड़ी ऐसी जगह पड़ती थी कि सरकार हेलीकॉप्टर आदि भी वहाँ नही आ सकते। स्थलीय वाहनों के आने संभावना दूर-दूर तक नही थी। जो लोगों को बचा ले जाएं।
इसी तरह लगभग दस-बारह दिन बीते। सरकारी हेलीकॉप्टरों द्वारा फेंके गए खाने, कपड़े और अन्य जरूरी वस्तुओं के सहारे उन लोगों ने किसी तरह दस-बारह दिन निकाले। बारिश का प्रकोप कम हुआ। बाढ़ का पानी धीरे-धीरे नीचे उतरने लगा। तब लोग धीरे-धीरे अपने घरों में आना शुरू हुए। लेकिन उनके पूरा गांव तबाह हो गया था और उनके घर में कुछ भी नहीं बचा था। बाढ इतने सारे लोगों के जीवन में अंधेरा ला दिया था। अब केवल सरकारी सहायता ही एकमात्र आस बची हुई थी। यह घटना देखकर बड़ा दुख हुआ कि प्रकृति कभी-कभी जब अपना प्रकोप दिखाती है तो वह अमीरी-गरीबी का कोई भेद नहीं देखती। गरीब को तो हमेशा ही इस प्रकृति के प्रकोप से नुकसान ही उठाना पड़ता है।