'बाढ़ और सूखे जैसी स्थितियाँ भारत में सामान्य हो गई हैं।' इन आपदाओं से निपटने
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Explanation:
बाढ़ बाढ़ ऐसी प्राकृतिक आपदा है जो अत्यधिक वर्षा होने से नदियों की क्षमता में सामान्य से अधिक अपवाह होने के कारण उत्पन्न होती है। इससे नदियों का जल किनारों से बाहर आकर मैदानी भागों में बहने लगता है। बाढ़ कुछ घण्टों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है, लेकिन इससे जन, धन और फसलों को बहुत अधिक हानि हो सकती है।
सुरक्षा
1- अत्यधिक अपवाह को रोकने के लिए अनेकों नदियों और नहरों पर बाढ़ नियंत्रण बांध बनाए गए हैं। तेज अपवाह को अस्थाई रुप से रोककर और थोड़ी- थोड़ी मात्रा में पानी को छोड़कर नदियों के स्तर को कम किया जाता है।
2- बाढ़ के पानी को फैलने से रोकने के लिए कृत्रिम नदी तट (लेवी) बनाए गए हैं।
अकालअक़ाल / सूखा क्या है ?
जब एक क्षेत्र में कईं महीनों अथवा वर्षों तक जलापूर्ति में कमीं हो जाती है ऐसी स्थिति को सूखा कहा जाता है।
अकाल या सूखा 3 प्रकार का हो सकता है।
1- मौसम विज्ञान सम्बंधी सूखा - यह तब होता है जब किसी क्षेत्र में वास्तविक वर्षा वहाँ के जलवायु सम्बंधी अर्थ में बहुत कम होती है।
2- जलीय सूखा - सतही जल में बहुत अधिक कमीं आने के कारण नदियों, झीलों और तालाबों का सूखना।
3- कृषि सम्बंधी सूखा - मिट्टी की आर्द्रता में कमीं आने से कृषि उत्पादकता में कमीं होना।
अकाल के दौरान निम्न पर्यावरणीय, आर्थिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं-
जनहानि
कृषि उत्पादन में कमीं
घरेलू और औद्योगिक प्रयोग के लिए पानी की कमीं
कुपोषण, बदहजमी और अन्य बिमारियाँ
सिचाई के लिए पानी की कमी होने से अकाल की स्थिति।