बूढ़ी औरत के की मृत्यु हो गई थी०
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Answer:
मैले-कुचैले बिस्तर पर
पड़ी ,
लकवाग्रस्त
वह् बूढ़ी औरत
आज भी अपने बारे में नहीं सोंचती
वह सोचती है
तो सिर्फ़
अपने उन बच्चों के बारे में
जो पूरी तरह जवान हो गए हैं
और खुद
सोच सकते हैं
अपने परिवार के बारे में
अपनी नए ज़माने की पत्नी की
हीरों जड़ी अंगूठी के बारे में
या दूर...बहुत दूर...समन्दर
Answer:
Explanation:
भोपाल। 65 साल की बुजुर्ग महिला के पैर में कीड़े पड़े हुए थे और वह बीच सड़क पर बैठी हुई थी। उसे एक व्यक्ति ने देखा तो उसका इलाज कराने के लिए अस्पताल ले गया। उसकी खोज खबर निकाली तो वह उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में मरौली गांव की निकली। वह 14 बीघा जमीन की मालकिन थी लेकिन फसल खराब होने की वजह से उनकी हालत खराब हो गई थी। जब उनके बेटों को मां के बारे में खबर लगी तो यहां तक आने के लिए उनके पास पैसे तक नहीं थे। उनके बेटों को सूचना दी तो वे सोमवार को भोपाल पहुंचे।
65 साल की बुजुर्ग शिवकली प्रजापति, उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उनके 5 बेटे और 3 बेटियां हैं। पति की 1 साल पहले ही मौत हुई थी। रक्षाबंधन के दिन वह अपने पैर की फुंसी का इलाज कराने के लिए घर से निकली लेकिन पहुंच गई भोपाल। वह अपने गांव से 25 किमी दूर अतर्रा रेलवे स्टेशन पर गईं थी। वह गलत ट्रेन में बैठ गईं और भोपाल आ गईं। 5 दिन तक वह भोपाल की सड़कों पर भटकती रहीं। इस दौरान उनके पैर में कीड़े पड़ गए। वह अपने आप को कानपुर में ही समझती रहीं। सोमवार को जब वह अपने बेटों से भोपाल के हमीदिया अस्पताल में मिली तो यही पहला शब्द निकला कि 'अच्छा हुआ बेटा, तुम कानपुर आ गए। अब मुझे घर ले चलो।'
साइकिल से 40 किमी दूर जाते थे ढूंढने
शिवकली के बेटे श्यामसुंदर ने बताया कि, 'हमारी मां 29 अगस्त को शाम 4 बजे घर से यह कहकर निकली थी कि खेत पर जा रही हूं। उसके बाद जब उनकी कोई खबर नहीं आई तो उन्हें ढूंढना शुरु किया। मां को ढूंढने के लिए 40 किमी दूर चित्रकूट साइकिल से जाते थे। साइकिल से मैं हर उस जगह गया, जहां मां हो सकती है। 2 अक्टूबर को जब हमारे घर पुलिस आई तो हमें पता चला कि हमारी मां भोपाल में हैं। हमें सैयद सुहैल हसन ने फोन करके भोपाल आने को कहा लेकिन हमारे पास भोपाल आने तक के लिए पैसे नहीं थे। हमारी फसल खराब हो गई थी, मां के घर में न रहने से हमें मुआवजा तक नहीं मिला क्योंकि वही जमीन की मालकिन हैं। 2 हजार रूपए जब हम किसी से उधार लेकर आए, तब जाकर आज मां से मिल सके।
बीच सड़क पर बैठी थीं, पैर में कीड़े पड़े थे
शेयर एंड केयर संस्था के अध्यक्ष सैयद सुहैल हसन ने बताया कि,' 4 सितंबर को हमें यह महिला मिली। उस समय उसके पैर में कीड़े पड़े हुए थे और वह रायल मार्केट के पास बीच सड़क पर बैठी थी। हम उसे वहां से अपने शेल्टर में लेकर आए और उसका इलाज कराना शुरू किया। उसे सिर्फ अपने गांव और जिले का नाम मालूम था। इसी आधार पर हमने बांदा जिले में पुलिस की वेबसाइट से रिजर्व इंस्पेक्टर(आरआई) लालसिंह चौधरी का नंबर लिया। पहले तो उसने मना कर दिया कि इतने बड़े जिले में एक गांव के बारे में वह नहीं बता सकते। बाद में जब उन पर दबाव डाला तो वह 2 घंटे में उसके घर पहुंच गए। वहां उनके बेटों से बात करवाई। अब समस्या यह थी कि उनके पास यहां आने को पैसे ही नहीं थे। करीब 50 बार कॉल करके उन्हें भोपाल आने के लिए रजामंद किया। सोमवार को सुबह उनके बेटे आ गए तो बेटे की आंखों में आंसू थे तो वहीं मां खुश हो रही थी कि उनके बेटे उन्हें लेने आ गए हैं।