बुढ़ापे में बूढ़ी काकी की समस्त इच्छाओं का केन्द्र कौन-सी इन्द्रिय थी ?
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कहानी में उसका चरित्र स्वार्थी और लोभी का है, जो बूढ़ी काकी की जायदाद तो अपने नाम लिखवा लेता है। बाद में उसे रोटी भी नहीं खिलाता। यहां तक कि अपमानित और बेइज्जत भी करता है। तीसरी मुख्य पात्रा रूपा है, जो बूढ़ी काकी के भतीजे पंडित बुद्धिराम की पत्नी है
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Answer:
बुढ़ापा बहुधा बचपन का पुनरागमन हुआ करता है। बूढ़ी काकी में जिह्वा-स्वाद के सिवा और कोई चेष्टा शेष न थी और न अपने कष्टों की ओर आकर्षित करने का, रोने के अतिरिक्त कोई दूसरा सहारा ही। समस्त इन्द्रियाँ, नेत्र, हाथ और पैर जवाब दे चुके थे।
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