बाढ़ प्रबंधन का वर्णन कीजिए
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भारत में घटित होने वाली सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अधिक घटनाएँ बाढ़ की हैं। यद्यपि इसका मुख्य कारण भारतीय मानसून की अनिश्चितता तथा वर्षा ऋतु के चार महीनों में भारी जलप्रवाह है, परंतु भारत की असम्मित भू-आकृतिक विशेषताएँ विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ की प्रकृति तथा तीव्रता के निर्धारण में अहम भूमिका निभाती हैं। बाढ़ के कारण समाज का सबसे गरीब तबका प्रभावित होता है, बाढ़ जान-माल की क्षति के साथ-साथ प्रकृति को भी हानि पहुँचती है। अतः सतत् विकास के नज़रिये से बाढ़ के आकलन की ज़रूरत है।
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बाढ़ से तबाही भारत में एक बार- बार होने वाली वार्षिक घटना है । लगभग हर साल, देश का कोई न कोई हिस्सा बाढ़ से प्रभावित होता है । बाढ़ से लोगों के बीच मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक अस्थिरता के अलावा, जीवन, संपत्ति- सार्वजनिक और निजी, और बुनियादी ढांचे में व्यवधान को बहुत नुकसान होता है । राष्ट्रीय बाढ़ अयोग( आरबीए) ने 1980 में अनुमान लगाया था कि देश में 40 मिलियन हेक्टेयर( एमएचए) के रूप में कुल बाढ़ प्रवण क्षेत्र है, जिसे बाढ़ प्रबंधन पर कार्य समूह ने दुबारा संशोधन के बाद 49.815 एमएचए कर दिया । बाढ़ प्रबंधन पर कार्य समूह जो कि योजना आयोग ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत जानकारी के आधार पर 12 वीं पंच वर्षीय योजना के तहत बनाया । बाढ़ का उचित प्रबंधन राष्ट्रीय विकास गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण तत्व है । देश में बाढ़ के प्रकोप से मानव जीवन, भूमि और संपत्ति की रक्षा के लिए; राज्य सरकारें पिछले 5 दशकों से बाढ़ प्रबंधन कार्यों में लगी हुई थीं और 10 वीं योजना के अंत तक कुल18.22 मीटर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र को उचित सुरक्षा प्रदान की गई है ।
Explanation:
भारत में घटित होने वाली सभी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अधिक घटनाएँ बाढ़ की हैं । यद्यपि इसका मुख्य कारण भारतीय मानसून की अनिश्चितता तथा वर्षा ऋतु के चार महीनों में भारी जलप्रवाह है, परंतु भारत की असम्मित भू- आकृतिक विशेषताएँ विभिन्न क्षेत्रों में बाढ़ की प्रकृति तथा तीव्रता के निर्धारण में अहम भूमिका निभाती हैं । बाढ़ के कारण समाज का सबसे गरीब तबका प्रभावित होता है, बाढ़ जान- माल की क्षति के साथ- साथ प्रकृति को भी हानि पहुँचती है । अतः सतत् विकास के नज़रिये से बाढ़ के आकलन की ज़रूरत है ।
बाढ़ क्या है?
नदी का जल उफान के समय जल वाहिकाओं को तोड़ता हुआ मानव बस्तियों और आस- पास की ज़मीन पर पहुँच जाता है और बाढ़ की स्थिति पैदा कर देता है । दूसरी प्राकृतिक आपदाओं की तुलना में बाढ़ आने के कारण जाने- पहचाने हैं । बाढ़ आमतौर पर अचानक नहीं आती, साथ ही यह और कुछ विशेष क्षेत्रों और वर्षा ऋतु में ही आती है । बाढ़ तब आती है जब नदी जल- वाहिकाओं में इनकी क्षमता से अधिक जल बहाव होता है और जल, बाढ़ के रूप में मैदान के निचले हिस्सों में भर जाता है । कई बार तो झीलें और आंतरिक जल क्षेत्रों में भी क्षमता से अधिक जल भर जाता है । बाढ़ आने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे- तटीय क्षेत्रों में आने वाला तूफान, लंबे समय तक होने वाली तेज़ बारिश, हिम का पिघलना, ज़मीन की जल अवशोषण क्षमता में कमी आना और अधिक मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना ।
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