Science, asked by spyadav9644, 1 month ago

बाढ़ प्रबंधन पर निबंध 250 शब्द में

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Answered by banturana9
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प्रस्तावना

भारी बारिश के कारण होने वाली बाढ़ के पानी की वजह से बीमारियों से होने के घातक परिणाम सामने आए हैं। इससे जीवन का नुकसान, बीमारियों में वृद्धि, मूल्य वृद्धि, आर्थिक नुकसान और अन्य मुद्दों के अलावा पर्यावरण का विनाश होता है। बाढ़ उनके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करती है।

बाढ़ के प्रकार

कई बार बाढ़ पर कुछ दिनों में काबू पाया जा सकता है जबकि कई बार इस पर हफ़्तों में काबू पाया जाता है जिससे उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन पर एक बुरा प्रभाव पड़ता है। यहां विभिन्न प्रकार की बाढ़ों पर एक नजर डाली गई है:

धीमी गति से स्थापित बाढ़

इस तरह की बाढ़ तब होती है जब नदियों के पानी की मात्रा अत्यधिक हो जाती है और आसपास के इलाकें इससे प्रभावित होते हैं। इस तरह की बाढ़ धीरे-धीरे विकसित होती है और कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक रह सकती है। यह कई किलोमीटर तक फैल जाती है और इससे अधिकतर निचले इलाकों पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे क्षेत्रों में बाढ़ के कारण इक्कठे पानी से जान-माल की संपत्ति का नुकसान हो सकता है और विभिन्न रोग भी पनप सकते हैं।

तेज़ गति से स्थापित बाढ़

इनका निर्माण होने में थोड़ा समय लगता है और ऐसी बाढ़ एक या दो दिन तक रह सकती है। इस तरह की बाढ़ बेहद विनाशकारी भी हैं। हालांकि ज्यादातर लोगों को इन के बारे में चेतावनी भी दी जाती है

और इससे पहले कि स्थिति बदतर हो जाए इनसे बचने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसी जगहों पर छुट्टी की योजना बनाने वाले पर्यटकों को अपनी योजना रद्द करनी चाहिए और अगर समय हो तो इस स्थिति से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

अचानक बनती बाढ़

इस तरह की बाढ़ ज्यादातर समय की एक छोटी अवधि के भीतर उत्पन्न होती है जैसे कुछ घंटे या मिनट। यह ज्यादातर भारी बारिश के कारण, बर्फ या बांध के टूटने के कारण होती है। इस तरह की बाढ़ को सबसे ज्यादा घातक माना जाता है और इससे बड़े पैमाने पर विनाश भी हो सकता है क्योंकि यह लगभग अचानक होती है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए कोई समय नहीं मिलता है।

निष्कर्ष

प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ दिन-प्रतिदिन के कार्य को बाधित करती है। बाढ़ इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विभिन्न समस्याएं पैदा करती है। भारी बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में जन-जीवन को फिर से पुनर्निर्माण करने में महीनों लगते हैं और कई बार तो सालों-साल भी।

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