(ब) 'उत्साह' गद्य साहित्य की कौन सी विधा है (क) नाटक (ख) निबन्ध (ग) कहानी (घ) उपन्यास Activate Windows
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उड़ान बोल्ट ने जगा था की वो ये करके सिलिएगा और ओडेन वोहि किए
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उत्साह गद्य साहित्य की निबन्ध विधी हैं।
Explanation:
साहित्य के आचार्यों ने समूचे साहित्य को दृश्य काव्य और श्रव्य काव्य - इन दो भागों में विभाजित किया है।
- (1) दृश्य काव्य में नाटक (रूपक और उपरूपक) हैं।
- (2) श्रव्यकाव्य में पद्य (कविता या काव्य) और गद्य ये प्रमुख दो साहित्य के भेद हैं हैं।
- निबंध- निबंध वह गद्य रचना है, जिसमें सीमित आकार में किसी विषय का प्रतिपादन एक विशेष निजीपन, संगति व संबद्धता के साथ किया जाता है।
- उत्साह में कष्ट या हानी सहने की दृढ़ता के साथ साथ कर्म में प्रवृत्त होने के आनंद का योग रहता है । साहस पूर्ण आनंद की उमंग का नाम उत्साह है । कर्म सौन्दर्य के उपासक है सच्चे उत्साही कहलाते प्रसंग -
- प्रस्तुत गद्यांश आचार्य रामचंद्र शुक्ल द्वारा लिखित उत्साह नामक निबंध से लाया गया है । जिसामें शुक्ल जी ने कर्म सौन्दर्य के माध्यम से सच्चे उत्साही का स्थान निर्धारित किया गया है । व्याख्या -
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने कहा कि मानव मन में स्थित दुखकी श्रेणी में जो स्थान उत्साह का है वही आनंद के वर्ग में उत्साह का है क्योंकि दुख में मानव को जो कष्ट प्राप्त होता है वह उस कष्ट से भयभीत रहता है और दुख से बचने के लिए कभी उस से दूर रहने का प्रयत्न भी करता है, लेकिन यदि हम में उत्साह है तो हम कठिन परस्थिति का सामना साहस से करते हैं तथा साहस रुपी कर्म से हमें सुख प्राप्त होता है । उस सुख की उमंग से हम प्रत्येक कार्य करने में आनंद का अनुभव करते हैं । साहस के साथ उमंग को ही उत्साह ही कहते हैं इस प्रकार जो उमंग के साथ कर्म करने में तत्पर रहते हैं उन्हें ही सच्चे उत्साही कहना उचित है । क्योंकि बगैर कर्म के मनुष्य सच्चा उत्साही नहीं हो सकता ।
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