बाज़ार में खड़े-खड़े नीलू हाल ही में सुने इस किस्से के बारे में ही सोच रहा था। सोचते-सोचते
उसे बड़ा आश्चर्य हो रहा था। नीलू को अपने घर का खयाल आया। उसके यहाँ तो केवल बाजार के
लिए ही हर रोज़ 50 रुपए खर्च हो जाते हैं। तो फिर महीने भर का कितना हुआ? 1500 रुपए और
ठाकुरदास के महीने की पगार ही सात सौ रुपए थी!
और फिर पचास रुपए में हर वक्त थोड़े ही पूरा होता है? अकाल के वक्त तो सिर्फ चावल ही
बीस रुपए किलो हो गए थे। वो भी अगर मिल जाए तो! और उस दिन तो हिलसा मछली के ही पूरे
बीस रुपए लग गए थे?
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तेयेतस्तस् चोरी सेरा सडकैलतो सारा ेचतैवोच् िचतेव्ले चरेवेतसे कल्ले ततेसतकेचतालतैसस देगा ेचरैसलौ ैचराकौ ोटव्चौव तेरा ैचयास तेरा चेल चारे
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i hope this answer helps you
aaliyasadiqclass:
sorry I didn't got the answer
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