baarish ka kahar essay in hindi of almost 1 and half page
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बारिश का कहर
जून के अंत में प्रारंभ हुई बारिश बंद होने का नाम नहीं ले रही थी। सितंबर समाप्त होनेवाला था पर बादल अभी भी डेरा जमाये बैठे थे। चारों ओर पानी का साम्राज्य छाया हुआ था । लगातार बरसात से नदी- नाले उफान पर थे । हमारे गांव की सड़कें जलमग्न हो गई थी। स्थान -स्थान पर गड्डे हो गए थे। वर्षा का पानी लोगों के घरों में घुसने लगा था, परिणामस्वरूप जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चला था ।
महिने के अंत तक सूरज भगवान के दर्शन तक नहीं हुए थे । बिजली के कड़कने और बादलों से हमारे मुहल्ले में बार -बार विद्यत कटौती होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था ।
बारिश का कहर मवेशियों पर भी बरपा । एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय कई दूधारु पशु नदी पार करते हुए तेज बहाव में बह गए । कई फसलें नष्ट हो गई जिससे किसान वर्ग को बहुत नुकसान झेलना पड़ा । यद्यपि सरकार ने मुआवजे की घोषणा की थी लेकिन फसलों को पुन: उपजाने की मेहनत तो किसान को करनी ही थी | वर्षा के अतिरेक के कारण कीट-मच्छरों की बढ़ोत्तरी से सब ओर बीमारी फैल गयी थी | मलेरिया ,डेंगू तथा हैजा और पीलिया जैसी बीमारियों के प्रकोप से जनसमुदाय त्रस्त होने लगा था |
अनेक जर्जर मकान बारिश के कहर से ढह गए | लोगों को आवाजाही में मुसीबतों का सामना करना पड़ा क्योंकि गाँव की सड़के सब खराब हो गयी थी | जिन पुलों को पार करके लोग सड़क तक पहुँचते थे वे जगह - जगह पर क्षतिग्रस्त हो गए थे | फलत: कई लोग वाहन के साथ- साथ स्वयं भी दुर्घटना के शिकार हुए | बारिश का कहर हमारे निकटवर्ती गाँव को भी झेलना पड़ा जहाँ कई लोग नदी में आई बाढ के शिकार हुए | यद्यपि वर्षा ऋतु सभीको अच्छी लगती है किन्तु लगातार होने वाली बारिश से लोग परेशान हो गये थे | अब इसके रुकने का सभी को इंतजार था |अब लोग बारीश से राहत पाना चाहते थे ताकि इससे होनेवाली परेशानियों से निजात मिल सकें |