Hindi, asked by vy9159200, 5 hours ago

baat Shri pratapnarayan mishira

hind chapter 1 class 9 ​

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Answered by SSC553
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Answer:

Pratap Narayan Mishra (24 September 1856 – 6 July 1894) was a Hindi essayist in British India. He is famous for exhorting all Indians to chant and believe in "Hindi, Hindu, Hindustan".[1]

His famous literary works were Bharat Durdasha, Lokokti Shatak, Shriprem Puran, Prarthana Shatak, Kaut', Trupantam, Hathi Hammir, Braidala Swagat and Kanpur Mahamatya.

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Answered by sidhipnair
1

Answer:

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Explanation:

Question 1:

इस कविता के बहाने बताएँ कि 'सब घर एक कर देने के माने' क्या है?

ANSWER:

सब घर एक देने के माने का अर्थ है कि सभी को अपना घर बना लेना। बच्चों के लिए अपना-पराया कुछ नहीं होता है। जहाँ उन्हें प्यार मिलता है, वे वहीं के हो जाते हैं। यही कारण है कि बच्चे पड़ोसियों के साथ भी वैसे ही रहते हैं, जैसे अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। वे किसी सीमा को नहीं समझते हैं। वे उन सीमाओं को तोड़कर एकता स्थापित कर देते हैं। ऐसे ही कविताएँ होती हैं। कविता यह नहीं देखती कि उसे हिन्दू पढ़ रहा है या अन्य कोई धर्म या जाति का व्यक्ति। वे सारी सीमाएँ तोड़कर प्रेम तथा एकता का सूत्र कायम कर देती हैं। वे समाज तथा सभी देशों की सीमाओं को एकसूत्र में पिरो देती हैं।

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Question 2:

'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से क्या संबंध बनता है?

ANSWER:

पक्षी आकाश में उड़ते हैं तथा फूल जगह-जगह खिलते हैं। कविता में पक्षियों के समान उड़ने की तथा फूल के समान खिलने की विशेषता होती है। लेकिन ये विशेषताएँ उसे किसी सीमा में नहीं बाँधती। ये विशेषताएँ उसे गहराई तथा व्यापकता देती है। पक्षी एक समय तक ही उड़ सकते हैं तथा फूल खिलकर समाप्त हो जाते हैं लेकिन कविता में ऐसा नहीं होता है। वह अपने निर्माण के साथ ही उड़ान भरती है और सदियों तक इस उड़ान को कायम रखती है, वह फूल के समान स्वरूप पाकर खिलती है। उसका खिलना एक समय के लिए नहीं होता बल्कि वह भी सदियों तक खिलकर लोगों के हृदय को आनंदित करती है। इसलिए 'उड़ने' और 'खिलने' का कविता से गहरा संबंध बनता है।

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Question 3:

कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?

ANSWER:

कविता और बच्चों में समानांतर रखने के निम्नलिखित कारण हैं-

(क) बच्चों के समान कविता में शब्दों की कोई सीमा नहीं होती है। जैसे बच्चे खेलते समय सारी सीमाएँ तोड़ देते हैं, वैसे ही कविता भी सारी सीमाएँ तोड़ देती है।

(ख) बच्चे किसी सीमा को नहीं मानते। उनके लिए कोई अपना-पराया नहीं होता है। सब उनके अपने होते हैं। ऐसे ही कविता के लिए कोई अपना-पराया नहीं होता है। वे सभी के लिए होती है।

(ग) जिस प्रकार बच्चों की कल्पनाएँ अनंत होती हैं, वैसे ही कवि की कल्पनाओं का अनंत रूप कविता होती है।

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Question 4:

कविता के संदर्भ में 'बिना मुरझाए महकने के माने' क्या होते हैं?

ANSWER:

फूल ही ऐसे हैं, जो महकते हैं। लेकिन उनका महकना तब तक कायम रहता है, जब तक उनका अस्तित्व विद्यमान है। कविता की स्थिति ऐसी नहीं है। कवि ने उसे खिलने तथा कभी न मुरझाने की शक्ति प्रदान की है। इस कारण उसकी महक सदैव बनी रहती है। उसे आप जब भी पढ़ो वह आपको नयी ही प्रतीत होती है। कविता का प्रभाव तथा अस्तित्व चिरस्थायी रहता है। इसलिए कविता को बिना मुरझाए महकने के लिए कहा है।

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Question 5:

'भाषा को सहूलियत' से बरतने से क्या अभिप्राय है?

ANSWER:

इसका अभिप्राय है कि हमें भाषा का प्रयोग उचित प्रकार से करना चाहिए। भाषा शब्दों का ताना-बाना है। उनके अर्थ प्रसंगगत होते हैं। अतः हमें उसका प्रयोग सही प्रकार से करना चाहिए। कई बार हम गलत शब्द का प्रयोग कर भाषा को पेचिदा बना देते हैं। इसलिए कहा गया है कि भाषा को सहूलियत के साथ बरतना चाहिए। जितना आवश्यक हो उतना ही बोलना चाहिए। अत्यधिक बोलना भी भाषा को विचित्रता दे देता है। हम बोलने में भूल ही जाते हैं कि हम क्या बोल रहे हैं। अतः बोलते समय अधिक सावधानी रखें।

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Question 6:

बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में 'सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है' कैसे?

ANSWER:

यह सही है कि बात और भाषा आपस में जुड़े हुए हैं। जब हम किसी से बात करते हैं, तो भाषा ही वह माध्यम हैं, जिससे हम अपनी बात दूसरों को समझा सकते हैं। यदि भाषा नहीं है, तो हम बात नहीं कर सकते हैं। यदि हम किसी के साथ बात ही नहीं करेंगे, तो भाषा का प्रयोग नहीं होगा। अतः यह अटूट संबंध है। जब हम अपनी भाषा को सहजता से इस्तेमाल नहीं करते तो यह स्थिति आती है कि सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। हर शब्द की विशेषता है कि उसका अपना अलग अर्थ होता है। फिर चाहे वह देखने में किसी के समान अर्थ देने वाले क्यों न लगे। उदाहरण के लिए-

तुम्हारा आचार सड़ गया है।

इस वाक्य में 'आचार' शब्द का गलत प्रयोग किया गया है। इस शब्द का अर्थ व्यवहार है। यह अचार के समान लगता है। लेकिन वाक्य को ध्यानपूर्वक देखा जाए, तो यहाँ पर आम, गोभी से बनने वाले व्यंजन की बात की जा रही है। लेकिन गलत शब्द का प्रयोग करके हमने सीधी बात को टेढ़ा बना दिया है।

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Question 7:

बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/मुहावरों से मिलान करें।

 

बिंब/मुहावरा विशेषता

(क) बात की चूड़ी मर जाना  कथ्य और भाषा सही सामंजस्य बनना

(ख) बात की पेंच खोलना  बात का पकड़ में न आना

(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना  बात का प्रभावहीन हो जाना

(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना  बात में कसावट का न होना

(ङ) बात का बन जाना  बात को सहज और स्पष्ट करना

ANSWER:

बिंब/मुहावरा विशेषता

(क) बात की चूड़ी मर जाना  बात का प्रभावहीन हो जाना

(ख) बात की पेंच खोलना  बात को सहज और स्पष्ट करना

(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना  बात का पकड़ में न आना

(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देना  बात में कसावट का न होना

(ङ) बात का बन जाना  कथ्य और भाषा सही सामंजस्य बनना

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